जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय | Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

जवाहरलाल नेहरू (अंग्रेजी: Jawaharlal Nehru; जन्म: 14 नवम्बर 1889, इलाहाबाद; मृत्यु: 27 मई 1964, नई दिल्ली) एक भारतीय राजनेता, सोशल डेमोक्रेट तथा उदारवादी व्यक्ति थे। वे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे जो 26 जनवरी 1950 से लेकर 27 मई 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। एक पॉलीटिशियन होने के साथ-साथ वे अच्छे लेखक व स्टेट्समैन भी थे।

भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसन्न होने के बाद, उन्होंने पार्लियामेंट के राजनीतिक तंत्र, उदारवाद विज्ञान और तकनीक को बढ़ावा दिया। उन्होंने भारत में शिक्षा के उत्थान के लिए टेक्नोलॉजी व साइंस इंस्टिट्यूट की स्थापना की। बीसवीं शताब्दी के मध्य कालीन युग में वह एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे।

उनके जन्मदिन 14 नवम्बर को भारत में “बाल दिवस” के रूप में मनाया जाता है। बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के नाम से पुकारते थे। 

जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय (Introduction to Jawaharlal Nehru)

नामजवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru)
जन्म14 नवम्बर 1889, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मातास्वरूप रानी नेहरू
पिता मोतीलाल नेहरू
पत्नी कमला कौल
पुत्रीइंदिरा गांधी
पुत्रनहीं 
बहनें विजयलक्ष्मी, कृष्णा नेहरू 
काॅलेजत्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड
शैक्षणिक योग्यतालॉ में बैरिस्टर
राष्ट्रीयताभारतीय
पुरस्कारभारत रत्न (1955)
पेशाराजनीतिज्ञ
राजनीतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
प्रसिद्धि का कारणभारत के प्रथम प्रधानमंत्री (26 जनवरी 1950 – 27 मई 1964)
गवर्नर जनरलमाउण्टबेटन, राजगोपालाचारी
उप राष्ट्रपतिसर्वपल्ली राधाकृष्णन
मृत्यु27 मई 1964, नई दिल्ली
जीवनकाल74 वर्ष
जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru)

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू थे जो एक बैरिस्टर थे। मोतीलाल नेहरू एक कश्मीरी पंडित थे जो अपने दम पर आर्थिक समृद्ध बने तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार (1919 व 1928) में प्रेजिडेंट भी बने। नेहरू की माता स्वरूपरानी थी जो एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी। स्वरूपरानी मोतीलाल नेहरू की द्वितीय पत्नी थी। 

जवाहरलाल नेहरु की दो छोटी बहने थी जिनके नाम विजयलक्ष्मी तथा कृष्णा थे। उनका कोई भाई नहीं था। नेहरू की बड़ी बहन विजयलक्ष्मी यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली की पहली महिला प्रेसिडेंट बनी थी। उनकी छोटी बहन कृष्णा एक लेखिका थी जिन्होंने अपने भाई पर कई पुस्तकें लिखी थी। 

जवाहरलाल नेहरु की पुत्री का नाम इंदिरा गांधी था जो प्रथम भारतीय महिला प्रधानमंत्री भी थी।

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बचपन 

नेहरू के पिता मोतीलाल एक आर्थिक संपन्न इंसान थे। जिसकी वजह से उनका बचपन बहुत अच्छा रहा। उनके पिता ने पढ़ाई हेतू घर पर ट्यूशन क्लासेज जॉइन करवाई। ब्रूक्स नाम के अध्यापक उनके पसंदीदा थे जिन्होंने उनके जीवन को काफी प्रभावित किया। 

धीरे-धीरे नेहरू साइंस और ब्रह्मविद्या में रुचि लेने लगे। एनी बेसेंट ने उन्हें 13 साल की उम्र में थियोसोफिकल सोसायटी ज्वाइन करने के लिए कहा। परंतु कुछ समय बाद उनकी रूचि कम हो गई और उन्होंने सोसाइटी छोड़ दी।

शिक्षा

साल 1905 में नेहरू इंग्लैंड के एक स्कूल में पढ़ते थे जहां पर उन्हें Joe नाम से पुकारा जाता था।

1907 में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए नेहरू कैंब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिल हुए। इस दौरान उन्हें इकोनॉमिक्स, इतिहास, साहित्य इत्यादि में गहरा लगाव हुआ। 

1910 में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद वह लॉ की पढ़ाई करने के लिए लंदन शहर के इनर टेंपल सराय में चले गए। पढ़ाई पूरी होने के बाद 1912 में वह भारत वापस आ गए।

शुरुआती कैरियर

बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद नेहरू इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक एडवोकेट के रूप में इनरोल हुए। परंतु लॉ प्रैक्टिस में उनकी रूचि बहुत कम थी जिसकी वजह से वह इस फील्ड से धीरे-धीरे बाहर आ गए और राजनीति के क्षेत्र में रुचि रखने लग गए। 

उन्होंने लॉ की प्रैक्टिस छोड़ दी और कांग्रेस की सभाओं में जाना शुरू कर दिया। उन्होंने सबसे पहले, 1912 में पटना कांग्रेस वार्षिक समारोह को अटेंड किया था। उन्होंने पाया कि ब्रिटिश लोगों द्वारा भारतीयों के खिलाफ भेदभाव किया जाता है। इसके खिलाफ 1913 में उन्होंने एक कैंपेन भी चलाया था।

नेहरू एक: राजनेता

वर्ल्ड वॉर वन खत्म होने के बाद जवाहरलाल नेहरू एक नए लीडर के रूप में उभरे। उस समय में अन्य राजनेता जैसे गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय जैसे व्यक्ति काफी प्रभावशाली थे। 

जवाहरलाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के अधीन भारतीय सिविल सेवा का उपहास उड़ाया क्योंकि उस समय की सिविल सर्विसेज अंग्रेजों के अपने मतलब के लिए बनाई गई थी ना कि जनता व देश की भलाई के लिए।

नेहरू और सुभाष चंद्र बोस दोनों भारत को आजाद करवाना चाहते थे परंतु दोनों की विचारधाराएं थोड़ी अलग तरह की थी। सुभाष चंद्र बोस जहां नाजियों की सहायता लेकर ब्रिटिश को बाहर करना चाहते थे तो वही नेहरू रिपब्लिकंस लोगों की मदद से देश की आजादी चाहते थे।

आजादी के समय जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि देश आजाद होने के बाद यहां पर किसी भी राजा का राज नहीं चलेगा। उनकी इस तरह की विचारधारा सपष्ट दिखाती है कि वह एक राष्ट्रवाद का निर्माण करना चाहते थे जहां पर संपूर्ण स्वतंत्रता व संपूर्ण जनता का शासन हो।

जब राज्यों के निर्माण की बात आई तब बहुत सारे राजनीतिक लोगों का मत था कि राज्यों को फेडरल स्टेट के रूप में अलग अलग कर देना चाहिए जो कि भारत सरकार में से 1935 अधिनियम के अनुकूल था।

परंतु नेहरू ने इसका विरोध किया और सुझाव दिया कि राज्यों का एकीकरण किया जाना चाहिए ताकि वे एक राष्ट्र का निर्माण कर सके।

द्वितीय विश्व युद्ध व राष्ट्रीय आन्दोलन का समय 

जब द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ तब भारत के वायसराय लिनलिथगो नाम के एक अंग्रेज थे। लिनलिथगो भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश के सहायक के रूप में उतारना चाहते थे। नेहरु उन दिनों चीन के दौरे पर गए हुए थे। जब उन्हें इस बात का पता चला कि ब्रिटिश भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल करने जा रहा है तो वे तुरंत चाइना से भारत आ गए और कांग्रेस के अध्यक्षों से बात की। 

नेहरू ने अंग्रेजों की बात को कुछ शर्तों के आधार पर मानने की बात रखी। उन्होंने कहा कि अगर अंग्रेज भारत को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद आजाद करें तो ही भारत द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ देगा। जब उनका यह प्रस्ताव लिनलिथगो के पास गया तो उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। 

23 अक्टूबर 1939 को कांग्रेस ने एक मीटिंग बुलाई और सभी मिनिस्ट्री से रिजाइन करने के लिए कहा। इस मीटिंग से पहले नेहरू ने जिन्ना को एकजुट होकर के इस प्रोटेस्ट में भाग लेने के लिए कहा था परंतु जिन्ना मुकर गए।

भारत छोड़ो आंदोलन के समय 

1942 में सुभाष चंद्र बोस जापानी सैनिकों की सहायता से भारत को आजाद कराने के लिए ब्रिटिश सेना पर आक्रमण कर देते हैं। सेना के इस वाॅर को देखते हुए ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर चर्चिल, एक क्रिप्स नामक अंग्रेज अधिकारी को भारत भेजते हैं। यह क्रिप्स वाॅर कैबिनेट का अध्यक्ष होता है। यह भारत के प्रमुख राजनीतिक लोगों के साथ सेटलमेंट करने के लिए आया था।

किंतु जब वह भारत आया तो उसे पता चला कि यहां के राजनीतिक लोग व दल अलग-अलग हैं। नेहरू महात्मा गांधी से थोड़े अलग विचारधारा की प्रवृत्ति के इंसान हैं जबकि वे दोनों कांग्रेसवादी हैं और संपूर्ण स्वतंत्रता से पूर्व कुछ भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

दूसरी तरफ मोहम्मद अली जिन्ना है जो एक अलग राष्ट्र निर्माण करने की बात करते हैं जिसका नाम वह पाकिस्तान रखना चाहते हैं। इस तरह के मतभेदों को देख क्रिप्स मिशन कोई भी समाधान नहीं निकाल पाया और फेल हो गया। 

1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कर दी। इस आंदोलन की शुरुआत के बाद गांधी व नेहरू दोनों को अरेस्ट कर लिया गया व जेल में डाल दिया गया। 

मई 1944 में गांधी जी जेल से रिहा हुए। बाकी अन्य मुख्य कांग्रेस समिति के लोग जैसे नेहरू, अब्दुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभभाई पटेल 15 जून 1945 तक भी जेल में थे। 

देश की आजादी के समय 

15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। आजादी से पहले भारत में बहुत ज़्यादा अस्थिरताएं थी। सामाजिक हिंसा, राजनीतिक अस्थायित्व, मोहम्मद अली जिन्ना के द्वारा एक नए मुल्क की मांग ने भारत की भंगुर इकॉनमि को और बदतर कर दिया। 

आजादी मिलने के बाद जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि भारत किसी भी राजा के विशेषाधिकार को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने मई 1947 में घोषणा की कि जो राज्य भारत की संविधान सभा से नहीं जुड़ेंगे उन्हें भारत के दुश्मन राज्यों के रूप में माना जाएगा। 

संविधान सभा के शुरुआती समय में सभा के सदस्यों का मानना था कि हर एक राज्य को फेडरल राज्य के रूप में शक्तियां दी जाएं परंतु नेहरू इसके खिलाफ थे। उनका मानना था कि राज्य को अलग शक्तियां न दे करके उसे केंद्र सरकार के नीचे रखा जाए ताकि भारत का गणतंत्र सही तरह से आगे बढ़ सके।

जवाहरलाल नेहरू: भारत के प्रथम प्रधानमंत्री

जवाहरलाल नेहरू कुल 16 वर्षों तक (Wikipedia के अनुसार) भारत के प्रधानमंत्री रहे थे। देश आजाद होने के बाद, 1952 में पहली बार प्रधानमंत्री के चुनाव आयोजित करवाए गए जिसमें कॉन्ग्रेस के नेता नेहरू की जीत हुई और वे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।

स्वतंत्रता के बाद, उनका प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल 1952 से लेकर 1964 तक रहा। 1952 से लेकर 1957 तक भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत रहे। उसके बाद 1957 में दूसरा जब इलेक्शन हुआ तब दूसरी बार भी नेहरू विजयी हुए।

1962 का जब तीसरा चुनाव हुआ उसमें भी नेहरू विजयी हुए। 

आज तक के भारत के स्वतंत्र प्राप्ति के इतिहास में नेहरू एकमात्र ऐसे इंसान रहे जो भारत के लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने। 

1955 में चर्चिल ने नेहरू को लाइट ऑफ एशिया कहा जो कि महात्मा बुद्ध से भी बड़ी है। (क्योंकि महात्मा बुद्ध को भी लाइट ऑफ एशिया सार्वत्रिक रूप से कहा जाता है)

कश्मीर का मामला

लॉर्ड माउंटबेटन नामक एक अंग्रेज गवर्नर ने भारत के दो टुकड़े करवा दिए। सरदार वल्लभ भाई जैसे महापुरुषों ने राष्ट्र को एकीकृत किया। इतने बड़े राष्ट्र में तरह-तरह की भाषाएं, भिन्न-भिन्न क्षेत्र व लोगों में विभिन्नता होने के बावजूद भी राष्ट्र को एकता की भाषा में पिरोया जा सका। 

जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर के मामले को सुलझाने के लिए जनमत संग्रह रखने का वादा यूनाइटेड नेशन से किया। जिसके बाद से कश्मीर एक विवादित क्षेत्र बन गया। क्योंकि 1953 में नेहरू के किए हुए वादे के अनुसार जनमत संग्रह नहीं कराया गया। उस समय में कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया व बक्शी गुलाम मोहम्मद को नया प्रधानमंत्री घोषित किया गया। नेहरू पहले शेख अब्दुल्लाह के पक्ष में थे परंतु बाद में अब्दुल्ला गवर्नमेंट के नंबर वन इनेमी बन गए थे।

मेनन द्वारा दिया गया 1957 का भाषण, यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में दिए गए भाषणों में से सबसे बड़ा भाषण था जो कि 8 घंटे तक लंबा चला।

यह भाषण कश्मीर के राजनीतिक मुद्दों से जुड़ा हुआ था जिसमें उन्होंने भारत के कश्मीर अधिग्रहण की बातों को रखा। 

नेहरू की तत्कालीन सरकार ने कश्मीर को भारत में विलय कर लिया जिसके बाद से पाकिस्तान ने कई सारे आक्रमण भारत पर किए। इन सब विषयों का आंकलन भारतीय संविधान में धारा 370 के तहत किया गया था परंतु बीजेपी की सरकार के द्वारा हाल ही के वर्षों में आर्टिकल 370 को हटा दिया गया। इस आर्टिकल को हटाने के बाद कश्मीर पूर्णतः भारत का हो गया। 

हत्या के प्रयास

जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी हत्या करने की कई षड्यंत्र रचे गए। उनकी हत्या करने का पहला प्रयास 1947 में किया गया था जब वह वर्तमान पाकिस्तान में कार के द्वारा एक सफर पर जा रहे थे। 

1955 में नागपुर शहर के पास बाबूराव लक्ष्मण खोजली नामक एक व्यक्ति द्वारा चाकू से हत्या करने का दूसरा प्रयास किया गया था। 

1956 में मुंबई शहर में नेहरू की हत्या करने का तीसरा प्रयास किया गया था।

1961 में महाराष्ट्र ट्रेन की पटरी के पास बॉम्ब रखकर नेहरू की हत्या करने का चौथा षड्यंत्र रचा गया था।

समाज हित के लिए किए गए कार्य

नेहरू ने समाज हित के लिए कई सारे कार्य किए। उन्होंने इकोनामिक जोंस के लिए मिक्सड इकोनामी को अपनाया जहां पर पब्लिक सेक्टर के साथ प्राइवेट सेक्टर का भी योगदान होता है। 

कृषि सुधार

जवाहरलाल नेहरू ने भारत की मूल बिजनेस अर्थात खेती को बढ़ावा दिया। प्रथम पंचवर्षीय योजना के तहत कृषि सुधारों पर विशेष ध्यान दिया गया और किसानों को कृषि हेतु उत्साहित व प्रोत्साहित किया गया। 

तृतीय पंचवर्षीय योजना के तहत भी भारत में ग्रीन रिवॉल्यूशन को लाया गया जिससे किसानों की इनकम में काफी ज्यादा वृद्धि हुई। 

बिज़नेस

नेहरू ने द्वितीय पंचवर्षीय योजना के तहत इंडस्ट्रीयलाइजेशन (औद्योगिकीकरण) पर विशेष रूप से ध्यान दिया। 

शिक्षा

नेहरू यह मानते थे कि शिक्षा देश का भविष्य बनाती है। इसलिए उन्होंने देश में शिक्षा के प्रचार-प्रसार को बढ़ाने के लिए वह विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने हेतु बहुत सारे टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, मेडिकल साइंस के कॉलेज, बिजनेस स्कूल्स इत्यादि की स्थापना करवाई।

हिंदू मैरिज लॉ 

हिंदू मैरिज ला 1955 को पास किया गया जिसके तहत कोई भी भारतीय जम्मू कश्मीर को छोड़कर अन्य किसी भी राज्य के पुरुष/स्त्री (अपने लिंग के मुताबिक)  के साथ विवाह कर सकता/सकती है। 

परंतु इसमें मुस्लिमों के विवाह कानून के साथ कोई छेड़खानी नहीं की गई। 

रिजर्वेशन

एससी व एसटी जातियों के लिए नेहरू ने सरकारी नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में आरक्षण दिलवाने के लिए एक सिस्टम का निर्माण करवाया। इसके तहत सामाजिक असमानता झेलने वाले लोगों को विशेषाधिकार दिए गए। 

जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु

26 मई 1964 को देहरादून से जवाहरलाल नेहरू दिल्ली आए थे। अपनी वापसी के दौरान वे काफी अच्छा महसूस कर रहे थे और रात के 11:30 बजे बिस्तर पर सोने के लिए गए। उनकी रात्रि काफी अच्छी रही और सुबह के 6:30 बजे तक उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी। 

जब नेहरू बाथरूम से नहा कर बाहर आए तो उनकी पीठ में दर्द हो रहा था। उन्होंने डॉक्टरों को अपना हाल बताया और कुछ समय बाद बेहोश हो गए और दोपहर के 1:44 तक वे बेहोश ही रहे। 

27 मई 1964 की दोपहर के 1:44 pm पर जवाहरलाल नेहरू की नई दिल्ली में हार्ट अटैक के कारण मृत्यु हो गई थी। हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार यमुना नदी के किनारे शांतिवन में किया गया। उनके अंतिम संस्कार को 15 लाख लोगों द्वारा श्रद्धांजलि दी गई। 

मृत्यु के वक्त नेहरू भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसिन्न थे। उनके जाने के बाद राष्ट्र के सामने एक अच्छे राजनेता खोने का दुख तो दूसरी तरफ एक नये उत्तराधिकारी चुनने की चुनौती थी।

जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के नए प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री को चुना गया था।

पुस्तकें 

  • द डिस्कवरी ऑफ इंडिया  (The discovery of India)
  • गलिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री (Glimpses of world history)
  • एन ऑटोबायोग्राफी (An autobiography)
  • लेटर्स फ्रॉम ए फादर टू हिज डॉटर  (Letters from a father to his daughter)

FAQs

जवाहरलाल नेहरू कौन थे?

जवाहरलाल नेहरू (अंग्रेजी: Jawaharlal Nehru; जन्म: 14 नवम्बर 1889, इलाहाबाद; मृत्यु: 27 मई 1964, नई दिल्ली) एक भारतीय राजनेता, सोशल डेमोक्रेट तथा उदारवादी व्यक्ति थे। वे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे जो 26 जनवरी 1950 से लेकर 27 मई 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। एक पॉलीटिशियन होने के साथ-साथ वे अच्छे लेखक व स्टेट्समैन भी थे।
जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक बैरिस्टर थे। मोतीलाल नेहरू एक कश्मीरी पंडित थे जो अपने दम पर आर्थिक समृद्ध बने तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार 1919 व 1928 में प्रेजिडेंट बने। नेहरू की माता स्वरूपरानी थी जो एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी। स्वरूपरानी मोतीलाल नेहरू की द्वितीय पत्नी थी।

जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री कब बने थे?

जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री पहली बार 1952 में बने। वह 1952 से लेकर 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री पद के रूप में कार्यरत रहे। 1964 में जब प्रधानमंत्री पद के रूप में आसन थे तब उनकी मृत्यु हो गई थी।

जवाहरलाल नेहरू की पुस्तकें कौन सी है?

जवाहरलाल नेहरू की पुस्तकें – द डिस्कवरी ऑफ इंडिया  (The discovery of India), गलिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री (Glimpses of world history), एन ऑटोबायोग्राफी (An autobiography), लेटर्स फ्रॉम ए फादर टू हिज डॉटर  (Letters from a father to his daughter).

जवाहरलाल नेहरू को द ग्रेटेस्ट लाइट ऑफ एशिया किसने कहा था?

चर्चिल ने.

कौन सबसे अधिक बार भारत का प्रधानमंत्री रहा है?

जवाहरलाल नेहरू सबसे अधिक बार भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं। उनका प्रधानमंत्री कार्यकाल 16 वर्ष (Wikipedia के अनुसार) है।

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