Bhagavad Gita quote in Hindi
जो शास्त्रीय विधियों का उल्लंघन कर स्वेच्छाचारवश कार्य में प्रवृत्त होता है, वह न तो सिद्धि, न सुख और न ही परागति को प्राप्त करता है।
हे पार्थ! दंभ, दर्प, अभिमान, क्रोध, निष्ठुरता और अविवेक आसुरी संपद, अभिमुख उत्पन्न व्यक्ति में होते हैं, अर्थात असत्-जात व्यक्ति को ये आसुरी संपद प्राप्त होते हैं।
मैं साधुओं से द्वेष रखने वाले, क्रूर और अशुभ कर्म करने वाले तथा नराधम उन सबको संसार में आसुरी योनियों में अनवरत निक्षेप करता हूं।
सात्विक गुणों वाले लोग देवताओं की पूजा करते हैं जो कि सात्विक हैं। रजोगुण वाले लोग यक्ष और राक्षसों की पूजा करते हैं जो कि राजसी है व तमोगुण वाले लोग भूत प्रेतों की पूजा करते हैं जो कि तामसी है।
चित्त की प्रसन्नता, सरलता, मौन, चित्त का संयम, व्यवहार में निष्कपटता – ये सब मानसिक तप कहलाते हैं।
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