Rahim Ke Dohe in Hindi – अगर आप महान कवि रहीम के दोहे ढूंढ रहे थे तो आपका इंतजार अब खत्म हो गया है क्योंकि यहां पर इस पोस्ट में हमने रहीम के सबसे अच्छे व प्रसिद्ध दोहों को संकलित किया है।
रहीम जी का जन्म भक्ति काल में हुआ था। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से लोगों को अच्छे संदेश देने की कोशिश की। कवि रहीम का समय कबीर दास व सूरदास से बाद का है। तो आइए पढ़ते हैं रहीम के दोहों को (Rahim Ke Dohe in Hindi)।
रहीम के दोहे 1-10 तक (Rahim Ke Dohe from 1 to 10)
रहीम जी के द्वारा लिखे गए ये दोहे इंसान को नैतिक मूल्यों से परिचय करवाते हैं व सांसारिक जीवन के बारे में शिक्षा देते हैं। रहीम के दोहे (Rahim Ke Dohe in Hindi) –
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।
हिंदी अनुवाद- रहीम कहते हैं कि पानी (ईज्जत) बचाइये, पानी के बिना सब शून्य है। पानी जाने के बाद न मोती बचता है, न मनुष्य बचता है, ना चून बचता है।
धरती की सी रीत है, सीत घाम औ मेह। जैसी परे सो सहि रहे, क्यों रहीम यह देह।।
हिंदी अनुवाद- शीत ,गर्मी और वर्षा यह धरती की रीत है। यह शरीर परिस्थिति के अनुकूल अपने आप ढल जाता है।
थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात। धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात।।
हिंदी अनुवाद- जिस तरह क्वार महीने के थोथे बादल अधिक गहराई से गरजते हैं, उसी तरह धनी पुरुष निर्धन हो जाते हैं तो पाछिली बात करते हैं।
कही रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, तेई सांचे मीत।।
हिंदी अनुवाद- रहीम जी कहते हैं कि जब इंसान के पास बहुत सारा पैसा होता है तब उसके बहुत मित्र बनते हैं, परंतु जो विपत्ति के समय काम आते हैं वही असली मित्र होते हैं।
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति-संचहिं सुजान।
हिंदी अनुवाद- रहीम कहते हैं पेड़ फल नहीं खाते हैं तालाब पानी नहीं पीते हैं। उसी तरह बुद्धिमान व अमीर लोग दूसरों के भले के लिए धन एक एकत्रित करते हैं।
बिगड़ी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।
हिंदी अनुवाद- रहीम जी कहते हैं कि लाखों उपाए कर लो, बिगड़ी हुई बात बनने की नहीं। जो दूध फट गया उसे कितना ही मथो उससे मक्खन निकलने का नहीं।
बड़े बड़ाई ना करें बड़े न बोले बोल, रहिमन हीरा कब कहे लाख टका मेरा मोल।।
हिंदी अनुवाद- जो बड़े होते हैं वे अपनी बड़ाई नहीं करते हैं। हीरा कब कहता है कि मेरा मोल लाख टके में है।
जो रहीम मन हाथ है, तो तन कहूँ किन जाहि। जल में छाया परे, काया भीजति नाही।।
हिंदी अनुवाद- हार और जीत का कारण आपका मन है, आपका शरीर नहीं है। मन के जीते जीत है मन के हारे हार है।
रहिमन प्रीति न कीजिए, जस खीरा ने कीन। ऊपर से तो दिल मिला, भीतर फांके तीन।।
हिंदी अनुवाद- ऐसे इंसान से प्रेम मत करो जो ऊपर से ऐसा लगे कि दिल से जुड़ा हुआ है लेकिन अंदर कपट भरा है। खीरे को देखो, ऊपर से तो साफ-साफ दिखता है परंतु अंदर तीन तीन फांके हैं।
कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन। जैसी संगति बैठिए, तैसो फल दीन।।
हिंदी अनुवाद- स्वाति नक्षत्र में होने वाली वर्षा से तीन तरह की गुण देखे जाते हैं। उस वर्षा की बूंद से कदली में पड़ने से बूंद का कपूर बन जाता है, सीप में पड़ने से मोती बन जाता है, साँप के मुंह में पढ़ने से विष बन जाता है।
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रहीम के दोहे (Rahim Ke Dohe in Hindi)
रहीम के दोहे 11-20 तक (Rahim Ke Dohe from 11 to 20)
रहीम के दोहे 11 से 20 तक (Rahim Ke Dohe in Hindi from 11 to 20)
आप न काहू काम के, डार पात फल फूल। औरन को रोकत फिरे, रहिमन पेड़ बबूल।।
हिंदी अनुवाद- बबूल के पेड़ के न तो पत्ते हैं, ना डालिया हैं, न फल है, ना फूल हैं। वह दूसरों को भी रोक लेता है, उन्हें भी आगे बढ़ने नहीं देता है।
रहिमन रहिबो वहां भलो जौ लौ सील समुच। सील ढील जब देखिए, तुरंत कीजिए कूच।।
हिंदी अनुवाद- उस क्षेत्र में तभी तक रहना चाहिए जब तक आपकी इज्जत व सम्मान है। जब आपकी इज्जत व सम्मान में ढील आने लगे तो वहां से जल्द से जल्द निकल जाना चाहिए।
संपत्ति भरम गंवाह के, हाथ रहत कछु नाहीं। ज्यों रहीम शशि रहत है, दिवस अकाश हि माही।।
हिंदी अनुवाद- बुरी संगति में पढ़कर जब कोई अपना सारा धन खो देता है तब उसकी दशा वैसी हो जाती है जैसी चंद्रमा की दिन में। चंद्रमा भी अपनी सारी कीर्ति हाथ से धो बैठता है।
संपत्ति संतति जान के, सब को सब कुछ देते। दीनबंधु दीन की, को रहीम सुधि लेत।।
हिंदी अनुवाद- अमीर लोगों के पास जो मांगने आते हैं उन्हें भी सब कुछ देते हैं किंतु दीन हीन की सुधि भगवान को छोड़कर कोई और नहीं लेता है।
सर सूखे पंछी उड़े, और सरन समाहि। दीन मीन बिन पंख के, कहु रहीम कहँ जाई।
हिंदी अनुवाद- तालाब सूख गया, सारे पक्षी वहां से उड़कर दूसरे तालाब में चले गए। परंतु मछलियां उसे छोड़कर कहां जाए।
समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जात। सदा रहे नहीं एक सी, का रहीम पछतात।।
हिंदी अनुवाद- समय पर अगर तुमने कुछ बना लिया तो फिर क्या अचूक है। अगर समय पर चूक कर दी तो फिर उससे बड़ी क्या भूल है।
राम ने जाते हरिन संग, सीय न रावण-साथ। जो रहीम भावी कतहुं, होत आपने साथ।।
हिंदी अनुवाद- भविष्य की होनी यदि अपने हाथ में होती तो उस पर अपना बस चलता, तो मायावी हिरण के पीछे राम क्यों भागते और रावण सीता को क्यों हर ले जाता।
रहिमन लाख भली करो, अगुनी न जाए। राग, सुनत पर पिअपहू, साँप सहज धरि।।
हिंदी अनुवाद- कितनी ही भलाई करो, दुष्ट की दुष्टता नहीं जाती है। सांप को कितना ही बीन पर नचाओ, चाहे कितना ही दूध पिलाओ। वह दौड़ कर तुम्हें ही काटेगा।
रहिमन विद्या, बुद्धि नहि, नहीं धर्म, जस, भू पर जनम वृथा धरै, पसु बिन पूँछ-विषान।।
हिंदी अनुवाद- जिस मनुष्य के पास में न तो विद्या है, न बुद्धि है, न धर्म कर्म है, न ही यश है और ना किसी को दान दिया है। ऐसे मनुष्य का पृथ्वी पर जन्म होना बेकार है। वह बिना सिंग व पूंछ का पशु ही है।
रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ मांगन जाहि। उनते पहले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहि।।
हिंदी अनुवाद- वे मनुष्य मर चुके हैं जो दूसरों के सामने हाथ फैलाते हैं। वे लोग तो पहले से ही मृतक हैं जो मांगने पर भी साफ इंकार कर देते हैं।
रहीम के दोहे
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रहीम के दोहे 20-25 तक (Rahim Ke Dohe from 20 to 25)
रहीम के दोहे 20 से 25 तक –
रहिमन सुधि सबसे भली, लगै जो बारंबार। बिछुरे मानुष फिर मिलैं, यहै जाने अवतार।।
हिंदी अनुवाद- रहीम जी कहते हैं कि किसी की याद सबसे अच्छी होती है जो बार-बार आती है। बिछड़े हुए मनुष्यों को दोबारा मिला दे, इसे ही अवतार जानना चाहिए।
रहिमन किनी प्रीति, साहब को पावै नहीं। जिनके अनगिनत मीत, समैन गरीबन को गनै।।
हिंदी अनुवाद- रहीम जी कहते हैं कि मैंने अपने साहब से प्रीति जोड़ी, पर साहब को वह पसंद नहीं आई। उनके अनगिनत मित्र हैं हम गरीबों की साईं के दरबार में गिनती ही क्या है।
रहिमन मार्ग प्रेम को, मत मतिहीन मझाव। जो डिगे तो फिर कहूँ, नहीं धरने को पावँ।।
हिंदी अनुवाद- रहीम जी कहते हैं यह प्रेम का रास्ता है इस पर कोई बुद्धिहीन पैर न रखें क्योंकि जिसने एक बार पैर रखा, वह अगर डिग जाता है तो फिर उसे दूसरी जगह पैर रखने की जगह नहीं मिलेगी।
रहिमन निज मन की विथा, मन ही राखो गोय। सुनि अकेलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।।
हिंदी अनुवाद- अंदर के दुख को हमेशा छिपा कर रखना चाहिए। दूसरे लोग तुम्हारे दुख को सुनकर उस पर हसेंगे, उसे बांटकर कम नहीं करेंगे।
छमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात। का रहीम हरि को घटियो, जो भृगु मारी लात।
हिंदी अनुवाद- बड़ों को क्षमा शोभा देती है, छोटों को उत्पात शोभा देता है। भृगु मुनि ने भगवान विष्णु को लात मार दी तो क्या उससे उनका आदर कम हुआ?
रहीम के दोहे (Rahim Ke Dohe in Hindi)
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अंतिम शब्द (Final Words)
रहीम जी के द्वारा बहुत सारे दोहे दिए गए हैं। उनमें से कुछ दोहों को ही हमने यहां संकलित किया है। अगर आप रहीम जी के सभी दोहे (Rahim Ke Dohe in Hindi) पढ़ना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। हम रहीम जी के अच्छे से अच्छे दोहे लाने के प्रयास करते रहेंगे। यहां तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।