दामोदर राव (अंग्रेजी: Damodar Rao, जन्म: 15 नवंबर 1849 – मृत्यु: 28 मई 1906) झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और गंगाधर राव के दत्तक पुत्र थे। रानी लक्ष्मीबाई और गंगाधर राव को एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी जिसका नाम दामोदर राव था। परंतु, मात्र 4 महीने के बाद बालक दामोदर राव की मृत्यु हो गई।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और महाराजा गंगाधर राव अब निसंतान हो गए थे। उन्होंने अपने ही परिवार में वासुदेव राव नेवालकर के पुत्र आनंद राव (रिश्ते में गंगाधर राव के पौत्र) को गोद ले लिया। आनंद राव को गोद लेने के बाद उनका नाम बदलकर दामोदर राव कर दिया गया था।
दामोदर राव का परिचय (Introduction to Damodar Rao)
जन्म का नाम | आनंद राव |
नाम | दामोदर राव (Damodar Rao) |
जन्म तारीख | 15 नवंबर 1849 |
जन्म स्थान | झांसी, उत्तरप्रदेश (भारत) |
वास्तविक पिता | वासुदेव राव नेवालकर |
मुंह बोले पिता | गंगाधर राव नेवालकर |
मुंह बोली माता | रानी लक्ष्मीबाई |
पुत्र | लक्ष्मण राव नेवालकर |
मृत्यु | 28 मई 1906 इंदौर, मध्य प्रदेश (भारत) |
जीवन काल | 56 वर्ष |
दामोदर राव (आनंद राव) झांसी नरेश गंगाधर राव और रानी लक्ष्मीबाई के गोद लिए हुए पुत्र थे। अपने पुत्र की मृत्यु के बाद लक्ष्मीबाई और गंगाधर राव ने आनंद राव को गोद लिया था और अपने पुत्र की याद में आनंद राव का नाम दामोदर राव रखा था।
दामोदर राव का जन्म 15 नवंबर 1849 को झांसी, मध्य प्रदेश (भारत) में हुआ था। उनके वास्तविक पिता का नाम वासुदेव राव नेवालकर था। जब दामोदर राव 5 वर्ष के हो गए तो उन्हें 1853 में गंगाधर राव ने गोद ले लिया। गोद लेने की यह प्रक्रिया राजा गंगाधर राव की मृत्यु के एक दिन पहले, एक अंग्रेज अधिकारी के सामने हुई थी।
दामोदर राव झांसी के उत्तराधिकारी (Damodar Rao as a Heir of Jhansi)
महाराजा गंगाधर राव ने अपने राज्य के लिए ब्रिटिश सरकार को एक पत्र लिखा था। यह पत्र उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी दिन में लिखा था। उन दिनों गंगाधर राव की तबीयत बहुत खराब थी क्योंकि उन्हें पेचिश की बीमारी लग चुकी थी।
इस पत्र में गंगाधर राव ने कहा था कि –
मैंने आनंद राव नाम के एक बच्चे को गोद लिया है जिसका नाम अब दामोदर राव है। आने वाले समय में अगर मुझे कुछ हो जाता है तो उस स्थिति में इस राज्य का उत्तराधिकारी मेरा पुत्र दामोदर राव होगा। मुझे उम्मीद है कि मैं बहुत जल्दी ठीक हो जाऊंगा और संभव है मेरी उम्र को देखते हुए मुझे और संतान हो।
तो उस स्थिति में यह पूरा मामला पुनर्विचार किया जाएगा। पर आने वाले समय में अगर मैं जीवित न रह पाऊं तो इस राज्य के संरक्षक मेरी पत्नी और मेरा पुत्र होगा। मैंने हमेशा से ही ब्रिटिश सरकार की हर एक बात मानी है और सरकार ने भी मेरी मदद की है। तो मैं यह चाहता हूं कि मेरे पुत्र और मेरी पत्नी की सुरक्षा सरकार करेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि आप एक उचित निर्णय लेंगे।
यह पत्र लिखने के बाद गंगाधर राव ने एक अंग्रेज अधिकारी को सौंप दिया। पत्र देते वक्त गंगाधर राव ने कहा कि इस राज्य को कुशलतापूर्वक चलने दिया जाए और मैंने हमेशा से सरकार की मदद की है।
यह बात कहते हुए गंगाधर राव का गला भर आया और उसी दिन 18 नवंबर 1853 को गंगाधर राव की मृत्यु हो गई।
अंग्रेजों द्वारा झांसी पर आक्रमण (British Attacked on Jhansi)
1854 ईस्वी में अंग्रेजों ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को ₹60,000 भेजे और कहा कि आप इस किले और महल को छोड़ दीजिए। तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड डलहौजी ने ‘डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स’ लगा दिया। इस कानून के तहत कोई भी गोद लिया हुआ बच्चा सिंहासन पर नहीं बैठ सकता था।
अंग्रेजों के मुताबिक दामोदर राव झांसी के उत्तराधिकारी नहीं बन सकते थे। जब यह बात रानी लक्ष्मीबाई को पता चली तो उन्होंने चिल्लाते हुए कहा, “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी!” इसके बाद अंग्रेजों ने झांसी के किले को घेर लिया और बमबारी शुरू कर दी। किले की मजबूत दीवार कुछ दिनों तक टिकी रही।
किले में उपस्थित लोगों ने बाहरी मदद लेने की सोची और तात्या टोपे को एक गुप्त संदेश भिजवाया। परंतु, तात्या टोपे के पास उस समय सेना बहुत कम थी। फिर भी वे तुरंत मदद भेजने के लिए तैयार थे क्योंकि वे नाना साहेब के यहाँ बिठूर में रह रहे थे।
रानी ने उस स्थिति में अपने घोड़े ‘बादल’ के साथ किले की दीवार से छलांग लगा दी। इस घटना में घोड़े ‘बादल’ की मौके पर ही मौत हो गई परंतु लक्ष्मीबाई और दामोदर राव (Damodar Rao) वहाँ से बच निकले।
लक्ष्मीबाई के बाद दामोदर राव का जीवन (Damodar Rao after Rani LakshmiBai)
रानी लक्ष्मीबाई कोट-की-सराही, उत्तरप्रदेश में 18 जून 1858 को शहीद हो गई। परंतु उस समय रानी लक्ष्मीबाई की पीठ पीछे उनका दत्तक पुत्र दामोदर राव भी था।
परंतु दामोदर राव ग्वालियर के युद्ध क्षेत्र से बच निकले और अपने कुछ निर्देशकों के साथ जंगलों में जाकर भीषण गरीबी में रहने लगे। रानी लक्ष्मीबाई के जाने के बाद दामोदर राव का जीवन बहुत कठिनाइयों भरा रहा।
दामोदर राव अब जंगलों में अपने साथियों के साथ रहने लगे थे। एक दिन जब उनकी अचानक तबीयत बिगड़ गई तो उन्हें झालरापाटन दवाखाने (अस्पताल) में ले जाया गया। वहां से वापस आते वक्त वे झालरापाटन के राजा से मिले। और उनके एक पुराने विश्वासपात्र ‘नानेखान’ ने अंग्रेज अधिकारी से अपील की कि दामोदर राव को माफ कर दिया जाए।
अंग्रेज अधिकारी ने उनकी बात मान ली और दामोदर राव को इंदौर भेज दिया। इंदौर में एक राजनीतिक अंग्रेज अर्जेंट ने अध्यापक मुंशी धर्मनारायण को कहा कि आप दामोदर राव को उर्दू अंग्रेजी और मराठी सिखाएं। दामोदर राव को अपने साथ 7 अनुयायी रखने की आज्ञा दी गई और उन्हें ₹10,000 की सालाना पेंशन भी दी गई।
अब दामोदर राव इंदौर में ही रहने लगे और उन्होंने अपना विवाह करवा लिया। परंतु, उनकी पहली पत्नी का विवाह के कुछ समय बाद देहांत हो गया। तब उन्होंने शिवरे परिवार की एक लड़की के साथ दोबारा विवाह किया। इसके बाद दामोदर राव को एक पुत्र (Son of Damodar Rao) हुआ जिसका नाम लक्ष्मणराव था।
दामोदर राव की मृत्यु (Death of Damodar Rao)
28 मई 1906 को दामोदर राव की मृत्यु इंदौर, मध्य प्रदेश में हो गई। उस समय उनकी उम्र मात्र 56 वर्ष थी।
1904 में ईस्ट इंडिया कंपनी के कानून खत्म हो चुके थे और लक्ष्मण राव ने उस समय ब्रिटिश सरकार से यह याचिका की कि वह झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का पौत्र (वारिस) है।
परंतु ब्रिटिश ने लक्ष्मण राव को झांसी की रानी के पौत्र के रूप में स्वीकारने से मना कर दिया। लक्ष्मण राव के पिता दामोदर राव (Damodar Rao) अपनी रुचि से एक फोटोग्राफर थे, उन्हें फोटो बनाना बहुत पसंद था।
बार-बार पूछे गए प्रश्न (FAQs)
दामोदर राव नेवालकर की मृत्यु 28 मई 1906 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुई थी।
दामोदर राव के पुत्र का नाम लक्ष्मण राव नेवालकर था।
दामोदर राव की 1906 में मृत्यु हुई थी तब उनकी उम्र 56 वर्ष थी।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु 18 जून 1856 को ग्वालियर में हुई थी।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के 2 पुत्र थे दामोदर राव और आनंद राव। रानी लक्ष्मीबाई का अपना एक पुत्र था जिसका नाम दामोदर राव था परंतु जन्म के 4 महीने के बाद दामोदर राव की मृत्यु हो गई। इसके बाद रानी ने एक पुत्र गोद लिया जिसका नाम आनंद राव था और आनंद राव का नाम बदलकर दामोदर राव (Damodar Rao) कर दिया।