जमशेदजी टाटा (अंग्रेजी : Jamshedji/Jamshetji Tata) भारत के एक जानेमाने बिजनेसमेन थे जिन्होंने टाटा ग्रुप, टाटा स्टील तथा जमशेदपुर शहर की स्थापना की थी। वे बिजनेस में पहले भारतीय थे जिन्होंने किसी कम्पनी की स्थापना की थी। उन्हें भारतीय व्यवसाय का जनक कहा जाता है।
वर्तमान समय में टाटा ग्रुप भारत के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप में से एक है। टाटा ग्रुप ने जमशेदजी के समय से लेकर वर्तमान समय तक अनेकों बिजनेस बनाए हैं। उनके व्यवसायों ने लाखों लोगों को रोजगार तथा राष्ट्र की इकॉनमी में बढ़ावा दिया है।
जमशेदजी टाटा का परिचय (Introduction to Jamshedji Tata)
नाम | जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata) |
जन्म | 3 मार्च 1839, नवसारी, गुजरात |
माता | जीवनबाई |
पिता | नौशेरवांजी |
पत्नी | हीराबाई दबू |
पुत्र | दोराब जी टाटा, रतन जी टाटा (ना कि रतन टाटा) |
पुत्री | 2 |
संस्थापक | टाटा ग्रुप, टाटा स्टील, जमशेदपुर शहर |
प्रसिद्धि का कारण | बिजनेसमेन, उद्योगपति |
मृत्यु | 19 मई 1904, बेड नौहियम, जर्मनी |
जीवनकाल | 65 वर्ष |
जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को गुजरात के नवसारी शहर में हुआ था उनके पिता का नाम नौशेरवांजी तथा माता का नाम जीवनबाई था। उनका परिवार एक पारसी परिवार था जो ईरान से भारत आए थे।
टाटा परिवार के लोग पुजारी का कार्य किया करते थे। समाज में पारसी लोगों के प्रति इज्जत तो थी परंतु उनके पास पैसा नहीं था। अपनी पारिवारिक हालातों को देखते हुए नौशेरवांजी ने परंपरागत पुजारी का कार्य छोड़ कर के व्यवसाय में आए।
पिता के इसी व्यवसायिक कार्य से प्रभावित होकर के जमशेद ने मात्र 14 वर्ष की आयु में ही अपने पिता के कार्य में सहायता करने में जुट गए।
उनकी मातृभाषा गुजराती थी। नौशेरवांजी ने जमशेद की अंकगणित की बौद्धिक क्षमता से प्रभावित होकर के उसे सबसे अच्छी व आधुनिक शिक्षा दिलाने के लिए मुंबई भेजा।
1858 में मुंबई के एलफिनस्टोन कॉलेज से ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने अपने पिता की एक्सपोर्ट ट्रेडिंग फर्म को ज्वाइन कर लिया।
यह वह समय था जब ब्रिटिश सरकार ने 1857 की क्रांति को दबा दिया था। उस समय में बिजनेस करना बहुत मुश्किल था। जमशेद ने एक्सपोर्ट ट्रेडिंग फर्म की अन्य मजबूत ब्रांच जापान, चीन, यूरोप तथा अमेरिका में खोली।
व्यक्तिगत जीवन (Personal Life)
जब जमशेदजी टाटा मुंबई के एलफिनस्टोन कॉलेज में अपनी पढ़ाई कर रहे थे उसी समय में ही उन्होंने हीराबाई दबू से शादी कर ली।
जमशेदजी टाटा तथा उनकी पत्नी हीराबाई दब्बू को कुल चार संतानों की प्राप्ति हुई जिनमें 2 पुत्र तथा 2 पुत्रियां थी। उनके पुत्रों के नाम दोराबजी टाटा तथा रतन जी टाटा थे। (कृपया कंफ्यूज ना हो, वर्तमान समय के बिजनेसमैन रतन टाटा तथा उस समय के रतन जी टाटा दोनों अलग-अलग व्यक्ति हैं। रतन टाटा को रतन जी टाटा के द्वारा गोद लिया गया था।)
टाटा के चचेरे भाई रतनजी दादाभाई टाटा ने टाटा ग्रुप की स्थापना में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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बनाया करोड़ों का बिजनेस (Built Business of Crores)
टाटा के पिता यह चाहते थे कि जमशेद भी उनके बिजनेस का एक हिस्सा बने। उसे बिजनेस की कुछ समझ दिलाने के लिए चीन भेजा। जब टाटा चीन में गए तो वहां पर देखा कि कॉटन उद्योग बहुत तेजी से बढ़ रहा था और जिससे उनके मन में यह विचार आया कि वह कॉटन उद्योग में काफी अच्छा पैसा बना सकते हैं।
जब जमशेदजी टाटा 29 वर्ष के थे तब तक उन्होंने अपने पिता की कंपनी में कार्य किया। सन 1868 में उन्होंने एक ट्रेडिंग कंपनी की स्थापना की। उन्होंने मुंबई के पास चिंचपोकली में एक दिवालिया हो चुकी ऑयल मिल को खरीद लिया और इस मिल को कॉटन मिल में बदल दिया तथा इसका नाम भी बदलकर एलेग्जेंडर मिल रख दिया गया।
2 वर्ष के बाद उन्होंने इस मिल को बेच दिया और फायदा बना दिया। इसके बाद उन्होंने एक नयी कॉटन मिल खोलने के लिए मुंबई छोड़कर नागपुर जाने का प्लान बनाया।
बहुत सारे लोगों को यह समझ नहीं आया कि टाटा ने मुंबई छोड़कर नागपुर जाने का प्लान क्यों बनाया था हालांकि उस समय में मुंबई को भारत की कॉटनपोली के नाम से जाना जाता था।
नागपुर में टाटा की कॉटन मिल ने शहर को विकसित बना दिया। वहां पर जमीन सस्ती थी तथा इन्वेंटरी का सामान भी बहुत पर्याप्त मिलता था। ट्रेन की सुविधाएं बननी शुरू हो गई थी जिसकी वजह से नागपुर का विकास हुआ।
उस समय में चल रहे स्वदेशी आन्दोलन को टाटा ने सपोर्ट किया। इस आंदोलन से पूर्णतया प्रभावित होते हुए उन्होंने अपनी मुंबई की कॉटन मिल को स्वदेशी मिल नाम दिया।
जमशेदजी टाटा के सपने (Dreams of Jamshedji Tata)
जमशेदजी टाटा के मुख्य चार सपने थे-
- लोहे तथा स्टील की कंपनी बनाना।
- सबसे बेहतरीन शिक्षण संस्थान बनाना।
- एक अद्वितीय होटल बनाना।
- एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट बनाना।
हालांकि टाटा के जीवन में उनका सिर्फ एक ही स्वपन पूरा हो पाया जो था एक अद्वितीय होटल। यह होटल आज ताज महल होटल के नाम से जाना जाता है जो मुंबई में है। ताज होटल की शुरुआत 3 दिसंबर 1930 को हुई थी। कुछ स्रोतों के मुताबिक, उस समय में भारत का यह पहला होटल था जिसमें विद्युत थी।
जमशेदजी टाटा की मृत्यु (Death of Jamshedji Tata)
एक बार जमशेदजी टाटा 1900 ईस्वी में जर्मनी के लिए अपनी बिजनेस यात्रा पर जा रहे थे। अपनी यात्राकाल में उनका स्वास्थ्य बहुत कमजोर हो गया और वे बीमार हो गए।
19 मई 1904 को जर्मनी के बेड नौहेइम शहर में जमशेदजी टाटा की मृत्यु हो गई। उस समय उनकी आयु 65 वर्ष थी। मृत्यु उपरांत टाटा को इंग्लैंड के वोकिंग शहर के ब्रूकवूड सिमेट्री में पारसी दफ़न में दफ़नाया गया।
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FAQs
जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को गुजरात के नवसारी शहर में हुआ था उनके पिता का नाम नौशेरवांजी तथा माता का नाम जीवनबाई था। उनका परिवार एक पारसी परिवार था जो ईरान से भारत आए थे।
टाटा परिवार के लोग पुजारी का कार्य किया करते थे। समाज में पारसी लोगों के प्रति इज्जत तो थी परंतु उनके पास पैसा नहीं था। अपनी पारिवारिक हालातों को देखते हुए नौशेरवांजी ने परंपरागत पुजारी का कार्य छोड़ कर के व्यवसाय में आए।
पिता के इसी व्यवसायिक कार्य से प्रभावित होकर के जमशेद ने मात्र 14 वर्ष की आयु में ही अपने पिता के कार्य में सहायता करने में जुट गए।
जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839, नवसारी, गुजरात में हुआ था।
जमशेदजी टाटा की मृत्यु 19 मई 1904, बेड नौहियम, जर्मनी में हुई थी।
भारतीय व्यवसाय का जनक जमशेदजी टाटा को कहा जाता है।
जमशेदजी टाटा के मुख्य चार सपने थे-
1. लोहे तथा स्टील की कंपनी बनाना।
2. सबसे बेहतरीन शिक्षण संस्थान बनाना।
3. एक अद्वितीय होटल बनाना।
4. एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट बनाना।