सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (अंग्रेजी: Suryakant Tripathi Nirala; जन्म: 21 फरवरी 1896, मृत्यु: 15 अक्टूबर 1961) एक प्रसिद्ध कवि व लेखक थे। निराला एक छायावादी कवि थे। वे कविताओं के साथ-साथ निबंध, उपन्यास व कहानियाँ भी रचते थे। उनकी कविताएँ बहुत लोकप्रिय रही हैं। लेखन के अलावा वे स्केच भी बनाते थे।
‘निराला’ उनका लेखन/दूसरा नाम (Pen name) रहा है जबकि उनका वास्तविक नाम सूर्यकान्त त्रिपाठी था।
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का परिचय (Intro to Suryakant Tripathi Nirala)
नाम | सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (Suryakant Tripathi Nirala) |
जन्म | 21 फरवरी 1896, मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल, भारत |
मृत्यु | 15 अक्टूबर 1961, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश, भारत |
जीवनकाल | 65 वर्ष |
पिता | पंडित रामसहाय त्रिपाठी |
पत्नी | मनोहरी देवी |
पुत्री | 1 |
कविताएँ | अणिमा, अनामिका, अपरा, अर्चना, आराधना, कुकुरमुत्ता, गीतगुंज इत्यादि |
उपन्यास | अप्सरा, अलका, इन्दुलेखा, काले कारनामे, चमेली, चोटी की पकड़, निरुपमा इत्यादि |
निबंध | चयन, चाबुक, प्रबंध पद्य, प्रबंध प्रतिमा, प्रबंध परिचय, बंगभाषा का उच्चारण, रवीन्द्र-कविता-कानन आदि |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
प्रसिद्धि का कारण | कवि, लेखक |
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म 21 फरवरी 1896 को पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर में हुआ था। उनके पिता पंडित रामसहाय त्रिपाठी थे जो एक सरकारी नौकरी करते थे। पश्चिम बंगाल में पैदा होने के कारण, निराला की मातृ भाषा बंगाली थी। जब सूर्यकान्त बहुत छोटे थे तब उनकी माता का देहांत हो गया था। माता के जाने के बाद, निराला का प्रारंभिक जीवन कठिनाइयों में बीता।
निराला का विवाह मनोहरी देवी के साथ हुआ। मनोहरी ने निराला को हिन्दी सीखने के लिए प्रेरित किया। 20 वर्ष की आयु में निराला ने हिन्दी सीखी। हिन्दी सीखने के बाद उन्होंने बंगाली के बजाय हिन्दी में ही कविताएँ लिखनी शुरु की। विवाह के बाद उनका जीवन बचपन की तुलना में ठीक चल रहा था।
परंतु, निराला जब 22 वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का भी देहांत हो गया। उनकी एक पुत्री भी थी। पुत्री के विवाह के बाद, वह भी विधवा हो गयी और कुछ समय बाद उसका भी देहांत हो गया। उन दोनों की मृत्यु का कारण 1918 के समय में चल रही फ्लू की बिमारी थी। पत्नी व पुत्री की मृत्यु के बाद, निराला का जीवन नीरस हो गया।
परंतु धीरे-धीरे उन्होंने लेखन में अपना मन लगाया। और बाद में, लेखन ही उनका परिवार बन गया।
ऐसा कहा जाता है कि महादेवी वर्मा ने निराला को जीवनपर्यन्त 40 वर्षों तक राखी बांधी। वह महादेवी को अपनी मुँहबोली बहन मानते थे।
लेखन कार्य (Writing works)
त्रिपाठी ने सामाजिक न्याय और शोषण पर बहुत गहराई से लिखा। अपने जीवन के अंतिम पलों में, इस तरह के लेखन कार्य से वे मानसिक विकार से ग्रस्त हो गये और उन्हें सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्री (रांची) में भर्ती कराया गया।
कविताएँ (Poems)
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की कविताएँ (Poems by Suryakant Tripathi Nirala) –
- अणिमा
- अनामिका
- अपरा
- अर्चना
- आराधना
- कुकुरमुत्ता
- गीतगुंज
- गीतिका
- जन्मभूमि
- जागो फिर एक बार
- तुलसीदास
- तोड़ती पत्थर
- ध्वनि
- नये पत्ते
- परिमल
- प्रियतम
- बेला
- भिक्षुक
- राम की शक्ति पूजा
- सरोज स्मृति
उपन्यास (Novels)
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ के उपन्यास –
- अप्सरा
- अलका
- इन्दुलेखा
- काले कारनामे
- चमेली
- चोटी की पकड़
- निरुपमा
- प्रभावती
कहानियाँ (Stories)
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की कहानियाँ –
- चतुरी चमार
- देवी
- सुकुल की बीवी
- साखी
- लिली
निबंध (Essays)
- चयन
- चाबुक
- प्रबंध पद्य
- प्रबंध प्रतिमा
- प्रबंध परिचय
- बंगभाषा का उच्चारण
- रवीन्द्र-कविता-कानन
- संग्रह
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सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की मृत्यु (Death of Suryakant Tripathi Nirala)
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की मृत्यु 15 अक्टूबर 1961 को प्रयागराज, उत्तरप्रदेश, भारत में हुई थी। मृत्यु के समय उनकी आयु 65 वर्ष थी।
अपने जीवन के अंतिम पलों में, सामाजिक अन्याय व शोषण के लेखन कार्य से वे मानसिक विकार से ग्रस्त हो गये और उन्हें सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्री (रांची) में भर्ती कराया गया था।
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FAQs
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (अंग्रेजी: Suryakant Tripathi Nirala; जन्म: 21 फरवरी 1896, मृत्यु: 15 अक्टूबर 1961) एक प्रसिद्ध कवि व लेखक थे। निराला एक छायावादी कवि थे।
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म 21 फरवरी 1896 को पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर में हुआ था। उनके पिता पंडित रामसहाय त्रिपाठी थे जो एक सरकारी नौकरी करते थे। पश्चिम बंगाल में पैदा होने के कारण बंगाली भाषा वहाँ की मातृ भाषा थी। जब सूर्यकान्त बहुत छोटे थे तब उनकी माता का देहांत हो गया था। माता के जाने के बाद, निराला का प्रारंभिक जीवन कठिनाइयों में बीता।
निराला का विवाह मनोहरी देवी के साथ हुआ। मनोहरी ने निराला को हिन्दी सीखने के लिए प्रेरित किया। 20 वर्ष की आयु में निराला ने हिन्दी सीखी। हिन्दी सीखने के बाद उन्होंने बंगाली के बजाय हिन्दी में ही कविताएँ लिखनी शुरु की। विवाह के बाद उनका जीवन बचपन की तुलना में ठीक चल रहा था।
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की मृत्यु 15 अक्टूबर 1961 को प्रयागराज, उत्तरप्रदेश, भारत में हुई थी। मृत्यु के समय उनकी आयु 65 वर्ष थी।
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की कविताएँ (Poems by Suryakant Tripathi Nirala) – अणिमा, अनामिका, अपरा, अर्चना, आराधना, कुकुरमुत्ता, गीतगुंज, गीतिका इत्यादि।
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ के उपन्यास (Novels by Suryakant Tripathi Nirala) – अप्सरा, अलका, इन्दुलेखा, काले कारनामे, चमेली, चोटी की पकड़, निरुपमा, प्रभावती इत्यादि।