सुभद्रा कुमारी चौहान की 12 कविताएं | Subhadra Kumari Chauhan Poems

चलते समय 

तुम मुझे पूछते हो ’जाऊँ’? 
मैं क्या जवाब दूँ, तुम्हीं कहो!
’जा...’ कहते रुकती है जबान
किस मुँह से तुमसे कहूँ ’रहो’!!
सेवा करना था जहाँ मुझे 
कुछ भक्ति-भाव दरसाना था।
उन कृपा-कटाक्षों का बदला
बलि होकर जहाँ चुकाना था॥
मैं सदा रूठती ही आई, 
प्रिय! तुम्हें न मैंने पहचाना।
वह मान बाण-सा चुभता है,
अब देख तुम्हारा यह जाना॥

सुभद्रा कुमारी चौहान

(Subhadra Kumari Chauhan Poems in Hindi)

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