सुभद्रा कुमारी चौहान की 12 कविताएं | Subhadra Kumari Chauhan Poems

नीम

(सुभद्रा कुमारी चौहान के द्वारा रचित प्रथम कविता जब वह 9 वर्ष की थी)

सब दुखहरन सुखकर परम हे नीम! जब देखूँ तुझे। 
तुहि जानकर अति लाभकारी हर्ष होता है मुझे॥
ये लहलही पत्तियाँ हरी, शीतल पवन बरसा रहीं।
निज मंद मीठी वायु से सब जीव को हरषा रहीं॥
हे नीम! यद्यपि तू कड़ू, नहिं रंच-मात्र मिठास है। 
उपकार करना दूसरों का, गुण तिहारे पास है॥
नहिं रंच-मात्र सुवास है, नहिं फूलती सुंदर कली।
कड़ुवे फलों अरु फूल में तू सर्वदा फूली-फली॥
तू सर्वगुणसंपन्न है, तू जीव-हितकारी बड़ी। 
तू दु:खहारी है प्रिये! तू लाभकारी है बड़ी॥
है कौन ऐसा घर यहाँ जहाँ काम तेरा नहिं पड़ा।
ये जन तिहारे ही शरण हे नीम! आते हैं सदा॥
तेरी कृपा से सुख सहित आनंद पाते सर्वदा॥ 
तू रोगमुक्त अनेक जन को सर्वदा करती रहै।
इस भांति से उपकार तू हर एक का करती रहै॥
प्रार्थना हरि से करूँ, हिय में सदा यह आस हो।
जब तक रहें नभ, चंद्र-तारे सूर्य का परकास हो॥ 
तब तक हमारे देश में तुम सर्वदा फूला करो।
निज वायु शीतल से पथिक-जन का हृदय शीतल करो॥

सुभद्रा कुमारी चौहान

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ये कुछ कविताएँ थी दोस्तों जो सुभद्रा कुमारी चौहान के द्वारा रचित हैं। ये कविताएं हिंदी साहित्य में काफी प्रसिद्ध रही। वैसे तो उनकी कविताएँ बहुत सारी हैं। उनकी सभी कविताओं का संकलन करना तो मुश्किल काम है परंतु फिर भी चुनिंदा कविताओं का संकलन हमने किया है। उनकी कौनसी कविता आपको सबसे अच्छी लगी वो कमेन्ट करके जरूर बताएगा। 

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