सुभद्रा कुमारी चौहान की 12 कविताएं | Subhadra Kumari Chauhan Poems

तुम

जब तक मैं मैं हूँ, तुम तुम हो, 
है जीवन में जीवन।
कोई नहीं छीन सकता
तुमको मुझसे मेरे धन॥
आओ मेरे हृदय-कुंज में 
निर्भय करो विहार।
सदा बंद रखूँगी
मैं अपने अंतर का द्वार॥
नहीं लांछना की लपटें 
प्रिय तुम तक जाने पाएँगीं।
पीड़ित करने तुम्हें
वेदनाएं न वहाँ आएँगीं॥
अपने उच्छ्वासों से मिश्रित 
कर आँसू की बूँद।
शीतल कर दूँगी तुम प्रियतम
सोना आँखें मूँद॥
जगने पर पीना छक-छककर 
मेरी मदिरा की प्याली।
एक बूँद भी शेष
न रहने देना करना खाली॥
नशा उतर जाए फिर भी 
बाकी रह जाए खुमारी।
रह जाए लाली आँखों में
स्मृतियाँ प्यारी-प्यारी॥

सुभद्रा कुमारी चौहान

(Subhadra Kumari Chauhan best poems)

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