मोहन राकेश (अंग्रेजी: Mohan Rakesh) एक प्रसिद्ध लेखक थे जिन्होंने अनेकों कहानियाँ, उपन्यास व नाटक रचे। वे नई कहानी आन्दोलन के एक मुख्य सदस्य थे। नई कहानी आन्दोलन में उनके साथ कई अन्य लेखक जैसे – मन्नू भंडारी, राजेन्द्र यादव, कमलेश्वर इत्यादि भी शामिल थे।
राकेश का आषाढ़ का एक दिन नाटक बहुत प्रसिद्ध हुआ। इस नाटक के माध्यम से उन्होंने प्रतियोगिता भी जीती और उन्हें पुरस्कृत भी किया गया।
मोहन राकेश का परिचय (Introduction to Mohan Rakesh)
नाम | मोहन राकेश (Mohan Rakesh) |
जन्म का नाम | मदन मोहन गुगलानी |
जन्म | 8 जनवरी 1925, अमृतसर, पंजाब |
पिता | एक वकील |
पत्नी | अनिता औलख |
शिक्षा | M.A. (हिन्दी, अंग्रेजी), पंजाब यूनिवर्सिटी, लाहौर |
नाटक | आषाढ़ का एक दिन, आधे अधूरे, लहरों के राजहंस, मोहन राकेश के संपूर्ण नाटक आदि |
उपन्यास | अंधेरे बंद कमरे में, ना आनेवाला, अंतराल, बकालामा खुदा आदि। |
प्रसिद्धि का कारण | उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार |
मृत्यु | 3 जनवरी 1972, दिल्ली |
जीवनकाल | 46 वर्ष |
मोहन राकेश एक प्रसिद्ध उपन्यासकार, कहानीकार व नाटक लेखक थे। उनका जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उनका जन्म का नाम मदन मोहन गुगलानी था। मोहन के पिता एक वकील थे। परंतु, दुर्भाग्यवश जब मोहन 16 वर्ष का था उस समय उसके पिता का देहांत हो गया था।
मोहन ने पंजाब यूनिवर्सिटी, लाहौर से अंग्रेजी व हिन्दी भाषा में एम. ए. की।
राकेश का प्रथम विवाह 1950 में उनके माता-पिता के द्वारा (अरेंज मैरिज) करवाया गया था। परंतु, यह विवाह अधिक लम्बे समय तक नहीं रहा और 1957 में उनका तलाक हो गया।
उनका दूसरा विवाह 1960 में हुआ था परंतु यह सम्बन्ध भी जल्दी खत्म हो गया।
राकेश का तीसरा विवाह 1963 में अनिता औलख के साथ हुआ था। इस विवाह में उन्हें सच्चा प्रेम मिला। विवाह के समय अनिता की उम्र 21 वर्ष थी और मोहन की उम्र लगभग 37 वर्ष थी।
लेखन में आगमन (Arrival into Writing)
मोहन राकेश ने सर्वप्रथम देहरादून में 1947 से लेकर 1949 तक पोस्टमेन का कार्य किया। जॉब छोड़ने के बाद वह दिल्ली चले गए। उसके बाद उन्हें अमृतसर में एक अध्यापक की जॉब मिली। वह गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के डीएवी कॉलेज के हिन्दी विभाग के मुख्य अध्यक्ष रहे।
वर्ष 1956 में मोहन राकेश ने अपने अध्यापक की नौकरी छोड़ दी और फुल टाइम लेखन पर ध्यान दिया।
1956 में लेखन में आने के बाद मोहन राकेश ने कई नाटक, कहानियां और उपन्यास लिखें जो बहुत प्रसिद्ध है।
उनका आषाढ़ में एक दिन नाटक बहुत प्रसिद्ध हुआ जिस पर एक फिल्म भी बनाई गई।
मोहन के उपन्यासों में अंधेरे बंद कमरे में, ना आनेवाला कल काफी प्रचलित हुएं हैं।
मोहन राकेश के नाटक (Plays written by Mohan Rakesh)
मोहन राकेश के नाटक (Plays by Mohan Rakesh) –
- आषाढ़ का एक दिन
- आधे अधूरे
- मोहन राकेश के संपूर्ण नाटक
- लहरों के राजहंस
आषाढ़ का एक दिन तथा लहरों के राजहंस उपन्यासों ने अलग ही अपना स्थान बनाया है। लहरों के राजहंस उपन्यास में मोहन राकेश ने बुध के त्याग के बारे में एक पुरानी बुध कहानी के बारे में बताया है। पहले यह उपन्यास एक छोटी कहानी के रूप में लिखा गया था परंतु बाद में यह आकाशवाणी रेडियो स्टेशन के द्वारा रेडियो नाटक में सम्मिलित कर लिया गया। यह उपन्यास पूरे भारत भर में आकाशवाणी पर सुनाया जाता था।
कहानियाँ (Stories)
मोहन राकेश की कहानियाँ (Stories written by Mohan Rakesh) –
- रात की बाहों में
- मोहन राकेश की मेरी प्रेम कहानियां
- 10 प्रतिनिधि कहानियां
उपन्यास (Novels)
मोहन राकेश के उपन्यास (Novels written by Mohan Rakesh) –
- अंधेरे बंद कमरे में (1961)
- ना आनेवाला कल (1968)
- अंतराल (1972)
- बकालामा खुदा (1974)
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मोहन राकेश की मृत्यु (Death of Mohan Rakesh)
मोहन राकेश की मृत्यु 3 जनवरी 1972 को दिल्ली में हुई थी। मृत्यु के समय उनकी आयु 46 वर्ष थी।
राकेश की पत्नी अनिता औलख ने अपने पति के देहांत के बाद दिल्ली में ही रहना जारी रखा।
अनिता ने भी अपनी स्वयं की ऑटोबायोग्राफी लिखी जिसे सत्रें और सत्रें नाम दिया गया।
FAQs
मोहन राकेश एक प्रसिद्ध उपन्यासकार, कहानीकार व नाटक लेखक थे। उनका जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उनका जन्म का नाम मदन मोहन गुगलानी था। मोहन के पिता एक वकील थे। परंतु, दुर्भाग्यवश जब मोहन 16 वर्ष का था उस समय उसके पिता का देहांत हो गया था।
मोहन ने पंजाब यूनिवर्सिटी, लाहौर से अंग्रेजी व हिन्दी भाषा में एम. ए. की।
मोहन राकेश ने सर्वप्रथम देहरादून में 1947 से लेकर 1949 तक पोस्टमेन का कार्य किया। जॉब छोड़ने के बाद वह दिल्ली चले गए। उसके बाद उन्हें अमृतसर में एक अध्यापक की जॉब मिली। वह गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के डीएवी कॉलेज के हिन्दी विभाग के मुख्य अध्यक्ष रहे।
8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में।
मोहन राकेश के उपन्यास – अंधेरे बंद कमरे में, ना आनेवाला कल, अंतराल, बकालामा खुदा आदि।
मोहन राकेश के नाटक – आषाढ़ का एक दिन, आधे अधूरे, मोहन राकेश के संपूर्ण नाटक, लहरों के राजहंस आदि।
3 जनवरी 1972 को दिल्ली में।
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