येसूबाई (अंग्रेजीः Yesubai) छत्रपति संभाजी महाराज की पत्नी तथा शाहू महाराज की माता थी। उन्होंने अपने जीवन के लगभग 30 वर्ष मुगलों की जेल में बिताए थे। मराठा साम्राज्य में किसी दूसरी रानी ने इतनी भयंकर जिंदगी नहीं बताई थी जितनी कि येसूबाई ने बिताई थी।
येसूबाई एक बहुत ही समझदार तथा विदुषी महिला थी जो अपने पति को राज्य के हर एक मामले में सलाह देती थी। मुगलों से आजाद होने के बाद, अपने पुत्र शाहू के शासन में उन्होंने एक महान न्यायधीश का कार्यभार संभाला।
येसूबाई का परिचय (Introduction to Yesubai)
नाम | येसूबाई (Yesubai) |
माता | मानीबाई |
पिता | पिलाजीराव शिरके |
भाई | गनोजी शिरके |
पति | छत्रपति संभाजी महाराज |
पुत्र | शाहू महाराज |
पुत्री | लक्ष्मीबाई |
देवर | राजाराम प्रथम |
सास | सईबाई |
ससुर | छत्रपति शिवाजी महाराज |
प्रसिद्धि का कारण | संभाजी महाराज की पत्नी, शाहू महाराज की माता |
धर्म | हिंदू |
परिवार | मराठा |
महारानी येसूबाई मोहिते, मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति संभाजी महाराज की पत्नी थी। येसूबाई के पिता पिलाजीराव शिरके थे जो मराठा सेना के एक मुख्य सरदार थे। उनके पिता पिलाजीराव छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से मराठों की सेवा में कार्यरत करते थे। येसूबाई का एक भाई भी था जिसका नाम गनोजी शिरके था।
येसूबाई एक सुंदर, बुद्धिमान तथा गर्वित महिला थी। उन्होंने अपने पति संभाजी महाराज के हर एक मसले में एक बुद्धिमान की तरह सहायता की। वह संभाजी के प्रति बहुत ही वफादार थी।
येसूबाई का एक पुत्र तथा एक पुत्री भी थी जिनके नाम क्रमशः शाहू महाराज तथा लक्ष्मीबाई थे।
येसूबाई का पारिवारिक जीवन (Family Life of Yesubai)
पिलाजीराव शिरके ने अपनी पुत्री येसूबाई का विवाह छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी के साथ करने के लिए शिवाजी महाराज के सामने प्रस्ताव रखा। शिवाजी महाराज ने उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और येसूबाई का विवाह छत्रपति संभाजी महाराज के साथ हुआ।
येसूबाई मराठा साम्राज्य की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश थी। जब उनके भाई गनोजी शिरके ने संभाजी से जागीर की मांग की थी। तब वह अपने भाई के खिलाफ जाने से बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाई क्योंकि उनका भाई अन्यायपूर्वक जागीर क्षेत्र पर अधिकार करना चाहता था।
मुगलों ने येसूबाई तथा शाहू महाराज को बन्दी बना लिया (Mughals captured Yesubai and Shahu Maharaj)
1689 में औरंगजेब ने मराठा छत्रपति संभाजी महाराज को बंदी बना लिया और उनकी हत्या कर दी। जिसके बाद ऐसा लगा कि मराठा साम्राज्य का पतन हो जाएगा। क्योंकि संभाजी महाराज का पुत्र शाहू अभी 7 वर्ष का था। पीछे रह गई उनकी विधवा पत्नी व अखंड मराठा साम्राज्य।
1689 में येसूबाई तथा पुत्र साहू को रायगढ़ के किले में मुगलों ने बंदी बना लिया और उन्हें दिल्ली की जेल में डाल दिया। उनके अलावा, अन्य 50-60 व्यक्तियों को भी जेल में डाल दिया गया जो मराठा महल में रहा करते थे।
उधर, ताराबाई के देवर राजाराम प्रथम ने मराठा साम्राज्य पर आधिपत्य कर लिया। परंतु, मुगलों ने राजाराम को भी पकड़ लिया तथा उनकी हत्या कर दी। शाहू की चाची तथा राजाराम द्वितीय की पत्नी ताराबाई ने अपने 4 वर्षीय पुत्र शिवाजी द्वितीय को मराठा छत्रपति घोषित कर दिया।
इसके बाद मुगल शासक औरंगजेब ने मराठा परिवार की तरफ कभी देखा तक नहीं। उन्हें आजीवन कारावास में रखने का ही सोच लिया था।
माता येसूबाई की जेल से रिहाई (Yesubai Got Released from the Prison)
जब 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हुई तब उसका पुत्र आजम बादशाह बना था। आजम ने मराठों व मुगलों के बीच संबंधों को वापिस सही करने के लिए, शाहू को रिहा करने की सोची। उस समय शाहू 25 वर्ष के हो चुके थे यानि कि उन्होंने 18 वर्ष मुगल जेल में बिता दिये थे।
1707 में शाहू को जेल से रिहा कर दिया गया। परंतु मुगलों ने शाहू की माता येसूबाई को जेल में ही रखा तथा उन्हें रिहा नहीं किया। मुगलों ने समझा कि अगर शाहू की माता को छोड़ दिया गया तो शाहू मुगलों के खिलाफ बगावत कर सकते हैं।
आखिरकार 4 जुलाई 1719 में, शाहू महाराज के पेशवा बालाजी विश्वनाथ भट्ट ने येसूबाई को जेल से रिहा करवाया। मुगलों ने येसूबाई को इसलिए रिहा किया क्योंकि पेशवा बालाजी विश्वनाथ भट्ट ने उनको बताया कि मराठा साम्राज्य हमेशा से ही मुगलों की संधि के नियमों की पालना करता आया है।
अंतिम शब्द (Final Words)
येसूबाई (Yesubai) एक महान व समझदार महारानी थी जिन्हें इतिहास में बहुत ही कम पन्नों पर वर्णित किया गया है। सबसे ज्यादा संघर्षपूर्ण जीवन जीने के बाद उन्होंने हमेशा ही मराठा साम्राज्य की प्रगति के बारे में सोचा।
वह मराठा साम्राज्य की एक वीरांगना थी जिन्होंने अपने पुत्र शाहू को एक अच्छा शासक बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मुगलों की जेल में 30 वर्ष बिताए जो कि एक कड़ी तपस्या से कम नहीं है क्योंकि औरंगजेब ने उनको बस नाम मात्र की चीजें ही दी थी। माता येसूबाई के लिए, मेरे साथ बोलिए –
“हर हर महादेव!”
बार-बार पूछे गए प्रश्न (FAQS)
येसूबाई (Yesubai)।
येसूबाई (Yesubai)।
क्योंकि जब 1689 में मुगलों तथा संभाजी महाराज के बीच युद्ध हुआ था। तब संभाजी महाराज की उसमें हार हुई थी। संभाजी महाराज की शहीदी हो जाने के बाद उनके परिवार व साथी लोगों को बंदी बना लिया गया था जिसमें शाहू महाराज तथा उनकी माता को भी बंदी बना लिया गया।