राजाराम प्रथम का जीवन परिचय व इतिहास | Rajaram I History & Biography in Hindi

राजाराम प्रथम (अंग्रेजी: Rajaram I) छत्रपति शिवाजी महाराज के दूसरे बेटे थे जो छत्रपति संभाजी महाराज के बाद मराठा साम्राज्य के तीसरे छत्रपति बने थे।

राजाराम का जन्म 14 फरवरी 1670 को महाराष्ट्र में राजगढ़ के किले में हुआ था। मात्र 30 वर्ष की उम्र में ही वह वीरगति को प्राप्त हो गए थे। 

राजाराम प्रथम का परिचय (Introduction to Rajaram I)

नामराजाराम प्रथम (Rajaram I)
जन्म14 फरवरी 1670, राजगढ़ का किला, वर्तमान महाराष्ट्र
माता सोयराबाई
पिताछत्रपति शिवाजी महाराज
सौतेले भाईछत्रपति संभाजी महाराज
सगी ब‌‍‌हनदीपाबाई
सौतेली बहनसखूबाई, रानूबाई, अंबिकाबाई, कमलाबाई, राजकुवंरी बाई, 
पत्नीताराबाई, जानकीबाई, राजसबाई
पुत्रशिवाजी द्वितीय, संभाजी द्वितीय
दादीजीजाबाई
पोताराजाराम द्वितीय
धर्महिंदू
साम्राज्यमराठा
शासन11 मार्च 1689 – 3 मार्च 1700
पूर्ववर्ती राजाछत्रपति संभाजी महाराज
उत्तराधिकारी राजाशिवाजी द्वितीय
मृत्यु3 मार्च 1700, सिंहगढ़ किला, महाराष्ट्र (भारत)
उम्र30 वर्ष
राजाराम प्रथम का जीवन परिचय व इतिहास | Rajaram I History & Biography in Hindi
राजाराम प्रथम का जीवन परिचय व इतिहास (Rajaram I history & biography in Hindi)

राजाराम प्रथम का जन्म 14 फरवरी 1670 को रायगढ़ के किले (वर्तमान महाराष्ट्र, भारत) में हुआ था। वह छत्रपति शिवाजी महाराज का दूसरा बेटा था तथा संभाजी महाराज का सौतेला भाई था। राजाराम की माता का नाम सोयराबाई था जबकि संभाजी महाराज की माता का नाम सईबाई था, परंतु दोनों के पिता शिवाजी महाराज थे।

राजाराम ने तीन विवाह किए थे। जब वह 10 वर्ष का था तब उसका पहला विवाह हुआ था। यह विवाह शिवाजी महाराज की सेना के अध्यक्ष प्रतापराव गुजर की 5 वर्षीय पुत्री जानकीबाई से हुआ था।  

राजाराम की दूसरी पत्नी का नाम ताराबाई था जो मराठा आर्मी के मुख्य अध्यक्ष हंबीरराव मोहिते की पुत्री थी। उसकी तीसरी पत्नी का नाम राजसबाई था जो कागल की घटगे परिवार से थी।

राजाराम के 2 पुत्र थे – शिवाजी द्वितीय तथा संभाजी द्वितीय। शिवाजी द्वितीय ताराबाई का पुत्र था तथा संभाजी द्वितीय राजसबाई का पुत्र था।

राजाराम अपने सौतेला भाई संभाजी से 13 साल छोटा था। वह अपने पिता का प्रिय पुत्र नहीं था क्योंकि शिवाजी संभाजी से बहुत ज्यादा स्नेह करते थे तथा उसे ही मराठा उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे। वैसे भी संभाजी उम्र में बड़े थे तो उत्तराधिकारी का पद उन्हीं का बनता था।

शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद राजाराम (Rajaram After the Death of Shivaji)

3 अप्रैल 1680 को छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद 1681 में संभाजी मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति शासक बने थे। उस समय राजाराम मात्र 11 वर्ष का बालक था। 

बालक राजाराम की माता सोयराबाई एक वाकपटु स्त्री थी जो अपने पुत्र को मराठा राजगद्दी पर बिठाना चाहती थी। परंतु, संभाजी महाराज के 1681 में शासक बन जाने के बाद उनका यह सपना टूट सा गया था। 

परंतु, होनी को कौन टाल सकता था। औरंगजेब की सेना ने संभाजी महाराज को 1689 में पकड़ लिया। 11 मार्च 1689 को संभाजी महाराज की हत्या कर दी गई जिसके बाद मराठों की शक्ति क्षीण हो गई और नए उत्तराधिकारी का प्रश्न उठा।

राजाराम प्रथम का राज्य अभिषेक (Coronation of Rajaram I)

संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद, 12 मार्च 1689 को राजाराम प्रथम का रायगढ़ के किले में राज्याभिषेक किया गया। मुगल सेना मराठा शासन के क्षेत्र तथा रायगढ़ के आसपास के क्षेत्र पर कब्जा करने में लगी थी। 

25 मार्च 1689 को संभाजी की विधवा पत्नी येसूबाई, उनके पुत्र शाहू महाराज व मंत्री रामचंद्र पंत को बंदी बना लिया गया तथा उन्हें एक लंबे समय के लिए कैद में डाल दिया गया।

राजाराम के वक्त मुगल आक्रमण (Mughals Attacks on the reign of Rajaram I)

संभाजी महाराज के परिवार को बंदी बना लिया गया था। परंतु, इसका मतलब यह नहीं था कि राजाराम व उसके परिवार को छोड़ दिया गया था।

मराठा सेना व मुगलों के बीच फिर युद्ध हुआ। राजाराम कैसे भी करके कावल्या घाट से होकर के जिन्जी के किले में पहुंच गए तथा मुगलों से बच निकले। 

जिन्जी का किला वर्तमान समय में तमिलनाडु राज्य में है। वहां से फिर प्रतापगढ़ तथा विशालगढ़ के किलों से हो करके राजाराम वर्तमान कर्नाटक पहुंच गए। तत्काल समय में वहां एक बहादुर कन्नड़ रानी का शासन था जो मुगलों से लड़ी थी। तो उन्होंने राजाराम (Rajaram I) को शरण दी।

कन्नड़ की इस रानी का नाम कैलादी चिन्नम्मा था। वह पहली भारतीय शासक थी जिसके साथ मुगलों ने शांति-संधि की थी।

राजाराम प्रथम की मृत्यु (Death of Rajaram I)

3 मार्च 1700 को राजाराम प्रथम की फेफड़ों की बीमारी के कारण मात्र 30 वर्ष की उम्र में सिंहगढ़ किले (वर्तमान पुणे के पास, महाराष्ट्र) में मृत्यु हो गई। 

राजाराम की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी जानकीबाई सत्ती बन गई। उनकी दूसरी पत्नी ताराबाई ने अपने पुत्र शिवाजी द्वितीय को मराठा साम्राज्य की राजगद्दी पर बैठाया।

परंतु, 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद संभाजी के पुत्र को रिहा कर दिया गया जो 18 वर्षों से जेल में थे। जिसके बाद ताराबाई तथा शाहू के बीच राजगदी के लिए जंग छिड़ गई। शाहू इसमें विजयी रहे तथा मराठा साम्राज्य के अगले शासक बने।

FAQs

छत्रपति शिवाजी महाराज के कितने पुत्र थे?

छत्रपति शिवाजी महाराज के 2 पुत्र थे – संभाजी महाराज तथा राजाराम प्रथम। संभाजी महाराज उनके बड़े बेटे थे जो राजाराम से 13 वर्ष बड़े थे।

संभाजी महाराज के भाई का क्या नाम था?

संभाजी महाराज के भाई का नाम राजाराम प्रथम था जो उनका सौतेला भाई था संभाजी महाराज की माता का नाम सईबाई था जबकि राजाराम प्रथम की माता का नाम सोयराबाई था।

राजाराम प्रथम के कितने पुत्र थे?

2 पुत्र – शिवाजी द्वितीय तथा संभाजी द्वितीय।

राजाराम प्रथम भोसले की कितनी पत्नियां थी?

राजाराम प्रथम की तीन पत्नियां थी – जानकीबाई, ताराबाई, तथा राजसबाई।

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