श्रीमद भगवत गीता के अनमोल वचन (Bhagavad Gita quotes in Hindi)
काम, क्रोध और लोभ – ये तीन आत्मनाशक नरक के द्वार हैं अतएव इन तीनों का त्याग करना चाहिए।
जो भक्तिमान मनुष्य शत्रु-मित्र, मान-अपमान, शीत-उष्ण, सुख-दुख में समभाव है; जिनकी वाणी में संयम है; जो कुछ प्राप्त होता है उसी से संतुष्ट रहते हैं, गृहासक्ति रहित तथा स्थिर बुद्धि वाले हैं; वह मेरे प्रिय हैं।
जिस प्रकार सर्वत्र अवस्थित आकाश सूक्ष्म होने के कारण लिप्त नहीं होता है, उसी प्रकार संपूर्ण देह में अवस्थित परमात्मा भी देह के गुण दोष आदि से लिप्त नहीं होते हैं।
मनोरथ, मोह जाल व विषय भोगों से जुड़े व्यक्ति अपवित्र नर्क में जाते हैं।
दोष युक्त होने पर भी स्वाभाविक कर्म नहीं त्यागना चाहिए क्योंकि सभी कर्म दोष के द्वारा उसी प्रकार आवृत है जिस प्रकार आग धुएं के द्वारा।