स्वामी रामदेव एक योगगुरु व बिजनेसमेन मेग्नेट है। वे लोगों को योग व आयुर्वेद के बारे में बताते हैं। स्वामी रामदेव को लोग रामदेव, बाबा रामदेव, योग गुरु इत्यादि नामों से भी जानते हैं। उनके मध्यमवर्गीय परिवार से उठकर बिजनेसमैन बनने तक की कहानी बहुत शानदार है।
उनके जीवन परिचय से प्रेरणा लेने से पहले एक प्रेरणा हमें यहीं पर मिल गई कि अगर इंसान अपनी सोच ऊंची रखें और अपने आप पर विश्वास करें तो वह बड़ी से बड़ी सफलता हासिल कर सकता है।
स्वामी जी के जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आए। परंतु उन्होंने अपने कर्तव्यों के प्रति कभी कोई कमी नहीं आने दी और शायद उसी का कारण है कि वे आज इतने लोकप्रिय व सफल बिजनेसमैन हैं।
योगगुरु बाबा रामदेव का परिचय (Introduction to Yoga Guru Baba Ramdev)
नाम | स्वामी बाबा रामदेव (Swami Baba Ramdev) |
वास्तविक नाम/जन्म का नाम | रामकृष्ण यादव |
जन्म दिनांक | 1965 ईस्वी |
जन्म स्थान | महेंद्रगढ़ जिले का सैयदपुर गांव, हरियाणा (भारत) |
माता | गुलाबो देवी |
पिता | रामनिवास यादव |
भाई | देवदत्त, रामभरत |
व्यवसाय | बिजनेसमैन व योग गुरु |
के संस्थापक | पतंजलि आयुर्वेद, पतंजलि योगपीठ, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट |
प्रसिद्धि का कारण | योग शिक्षक व बिजनेसमैन |
प्रतिष्ठा | हॉनरेरी डॉक्टरेट कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर के द्वारा |
धर्म | हिंदू |
उम्र (सितंबर 2021 में) | 55-56 वर्ष |
स्वामी रामदेव का जन्म वर्ष 1965 में हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के सैयदपुर गांव के एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम रामनिवास यादव तथा माता का नाम गुलाबो देवी है। उनके माता-पिता हरियाणा के किसान थे।
जन्म के कुछ ही महीनों के बाद उनके चेहरे का बायां भाग आंशिक रूप से लकवा ग्रस्त हो गया था जिसके कारण बाबा जी की बाई आंख अस्वैच्छिक रूप से झपकती है।
रामदेव आर्य समाज से आते हैं। आर्य समाज 10 अप्रैल 1875 को स्वामी दयानंद सरस्वती के द्वारा स्थापित किया गया था।
रामदेव ने छोटी आयु में ही दयानंद सरस्वती जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘सत्यार्थ प्रकाश’ को पढ़ा और इस पुस्तक से वे काफी ज्यादा प्रभावित हुए। यह सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक 1875 ईस्वी में लिखी गई थी।
दयानंद सरस्वती जी ने समाज सुधारक का कार्य किया और उन्होंने आर्य समाज की स्थापना करके नए मूल्य बनाएं। उन्होंने इंग्लिश भाषा को अस्वीकृत करते हुए भारत की पुरानी लिपियों, संस्कृत, योग नियमों इत्यादि को सीखा और अंग्रेजी विद्यालयों की बजाए गुरुकुल को चुना।
आचार्य बालकृष्ण से मिलना
बाबा रामदेव ने भी अपनी शिक्षा गुरुकुल से ग्रहण की। उन्हें अर्श गुरुकुल खानपुर में प्रवेश मिला जहां गुरु प्रद्युमन पढ़ाया करते थे।
और इसी अर्श गुरुकुल में वे अपने घनिष्ठ मित्र बालकृष्ण आचार्य से मिले। रामदेव को रामकृष्ण के नाम से पुकारे जान लगे।
इसी गुरुकुल में रामदेव और बालकृष्ण की गहन मित्रता हुई और 3 साल तक एक साथ ही यहीं पर पढ़े। इन 3 सालों में उनकी दोस्ती बहुत गहरी हो गई।
3 साल के अध्ययन के बाद रामकृष्ण (मतलब रामदेव) गुरुकुल छोड़कर के आचार्य बलदेव जी के शिष्य बन गए। आचार्य बलदेव जी ने रामकृष्ण का नाम बदलकर रामदेव रख दिया। आचार्य आर्य समाज के प्रमुख थे। रामदेव ने गुरु कर्मवीर से योग की शिक्षा प्राप्त की।
बाबा रामदेव ने लिया संन्यास
जब वह 25 वर्ष के हो गए तो उन्होंने संन्यास ले लिया। इस के बाद उन्होंने लोगों को योग सिखाना शुरू किया और वे बाबा रामदेव या स्वामी रामदेव के नाम से प्रसिद्ध होने लगे।
(नोट – लोकदेवता बाबा रामदेव स्वामी रामदेव से अलग हैं.)
सन्यास ग्रहण करने के बाद वो हिमालय में गए और गंगोत्री के पास उन्होंने लगभग 3 साल बिताए ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके। हरियाणा के जींद जिले के अर्श गुरुकुल में उन्होंने लोगों को फ्री में योगा ट्रेनिंग देनी शुरू की। उनके शुरुआती दर्शक व प्रशिक्षु आसपास के ग्रामीण लोग थे।
इसके बाद वे उत्तराखंड के हरिद्वार में चले गए जहां पर उन्होंने अनुशासन व ध्यान सीखा। और यहीं पर उन्होंने पुरानी भारतीय लिपियों व अन्य पुस्तकों को पढ़ने में कई साल बिताए। कई वर्षों के बाद जब उनके गांव में आर्थिक स्थिति खराब होने लगी तो उन्होंने अपने परिवार को हरिद्वार में ही बुला लिया।
स्वामी रामदेव का योग सेंटर
स्वामी रामदेव का मुख्य योग सेंटर का नाम योग ग्राम है जो कि हरिद्वार में स्थित है। योग ग्राम में स्वामी जी सुबह व शाम योगाभ्यास करते हैं तथा लोगों को योग सिखाते हैं।
उनके इस कार्यक्रम को वर्तमान समय में बहुत सारे टीवी चैनल्स फीचर कर रहे हैं। परंतु साल 2003 में आस्था टीवी ने सर्वप्रथम उनके इस कार्यक्रम को अपने चैनल की टाइमिंग में रखा था।
इस कार्यक्रम के बाद स्वामी जी ने बहुत सारे प्रशंसक व फॉलोअर्स प्राप्त किए और उनकी लोकप्रियता बहुत तेजी से बढ़ी। बहुत सारे लोग उनके द्वारा सिखाए गए योगाभ्यास से प्रभावित हुए। भारत से ही नहीं, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, जापान जैसे देशों से भी लोग उनके योग प्रशिक्षण के लिए आने लगे।
बाबा रामदेव की लोकप्रियता
बाबा रामदेव 2010 के दशक के शुरुआती वर्षों में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध होने लगे क्योंकि उनके द्वारा लगाए गए कैंप ने लोगों की बहुत सहायता प्रदान की। आस्था टीवी व अन्य चैनलों पर प्रसारित हो रहे उनके योग प्रशिक्षण कार्यक्रम के कारण लाखों लोग उनसे जुड़ने लग गए। 2006 में उन्हें संयुक्त राज्यों की कॉन्फ्रेंस मीटिंग में गरीबी पर एक स्पीच देने के लिए आमंत्रित किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान में भाग लेने के लिए भी बाबा रामदेव को आमंत्रित किया गया था। स्वच्छ भारत अभियान 2 अक्टूबर 2014 को शुरू किया गया था जिसमें रामदेव नो प्रमुख सदस्यों में से एक थे।
पतंजलि कंपनी की स्थापना
पतंजलि आयुर्वेद कंपनी को पतंजलि के नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना स्वामी रामदेव व बालकृष्ण ने साल 2006 में की थी। पतंजलि उपभोक्ताओं के लिए पैक की गई चीजों का निर्माण करती है व भारतीय बाजार में बेचती है। यह एक एफएमसीजी कंपनी है जो मुख्यतः हरिद्वार में स्थित है।
पतंजलि के एक अधिकारी के मुताबिक साल 2016 में कंपनी का रिवेन्यू 4500 करोड़ था। हालांकि यह आर्टिकल सितंबर 2021 में लिखा जा रहा है जिसका मतलब है कि कंपनी ने इन 5 सालों के समय में बहुत सारी ग्रोथ प्राप्त की होगी।
पतंजलि के लगभग हर एक प्रोडक्ट ने बाजार में लोकप्रियता प्राप्त की है। हालांकि 1-2 प्रोडक्ट ऐसे भी हैं जिन्हें भारतीय सरकार ने निम्न गुणवत्ता की वजह से मार्केट से बैन किया है। वर्तमान समय में पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण है जो कंपनी के मुख्य कार्य संभालते हैं। कंपनी के फाइनेंस बाबा रामदेव के भाई रामभरत देखते हैं तथा उनके पिता पतंजलि आयुर्वेद की गतिविधियों को देखते हैं।
हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ
पतंजलि योगपीठ एक संस्थान है जो योग व आयुर्वेद को अभ्यास में लाता है तथा इसका प्रमोशन करता है। यह संस्थान हरिद्वार में स्थित है। इसके दो भाग हैं – पतंजलि योगपीठ प्रथम तथा पतंजलि योगपीठ द्वितीय।
इसके अलावा पतंजलि योगपीठ विदेशों में भी स्थापित किया गया है जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन, नेपाल, कनाडा इत्यादि. अमेरिका, ब्रिटेन इत्यादि में यह योगपीठ लोगों को योग सिखाता है और इस पतंजलि योगपीठ के वाइस चांसलर भी स्वामी रामदेव ही हैं। यूके में योग पीठ की स्थापना 2006 में की गई थी।
अंतिम शब्द
स्वामी रामदेव व बालकृष्ण ने पतंजलि कंपनी की स्थापना करके स्वदेशी उत्पाद बनाकर के आत्मनिर्भर भारत अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पतंजलि के द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट इतने अच्छे साबित हुए हैं कि विदेशी कंपनियों के बनाए हुए प्रोडक्ट फेल हो रहे हैं।
स्वामी रामदेव ने लोगों को योग सिखा करके उन्हें जड़ बीमारियों से बचाने में कहीं न कहीं मदद की है। आज योग पूरे विश्व में प्रचलित हो गया है और इसका श्रेय भारत को ही जाता है। इसमें स्वामी रामदेव जैसे व्यक्तियों का भी बहुत अहम योगदान है।
FAQ’s
उत्तर – रामनिवास यादव।
उत्तर – नहीं, बाबा रामदेव की शादी नहीं हुई है। एक पुस्तक में यह बताया गया है कि स्वामी रामदेव ने दयानंद सरस्वती की किताब ‘सत्यार्थ प्रकाश’ पढ़ने के बाद शादी न करने का प्रण लिया था।
उत्तर – बाबा रामदेव जी के परिवार में उनके पिता उनके भाई व उनकी माता है। उनके पिता का नाम रामनिवास यादव, भाई का नाम रामभरत तथा माता का नाम गुलाबो देवी है।
उत्तर – सितंबर 2021 में स्वामी रामदेव की उम्र लगभग 55-56 वर्ष है।
उत्तर – बाबा रामदेव हरिद्वार में निवास करते हैं वहीं पर उनकी योगपीठ तथा पतंजलि का मुख्य कार्यालय है। इसके साथ ही उनका परिवार भी हरिद्वार में ही रहता है।
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