Bhagavad Gita quotes in Hindi
मेरे एकांत भक्त सर्वदा समस्त कर्म करने पर भी मेरी कृपा से नित्य अव्यय वैकुंठ धाम प्राप्त करते हैं।
जिनका कर्त्तापन का अभिमान नहीं है और उनकी बुद्धि कर्मफल में आसक्त नहीं होती, वे समस्त प्राणियों की हत्या करने पर भी वस्तुत: हत्या नहीं करते हैं एवं उस फल में आबद्व भी नहीं होते हैं।
ज्ञान, ज्ञेक्ष और परिज्ञाता – ये तीन कर्म प्रवृत्ति के कारण हैं। करण, कर्म और कर्ता – ये तीन कर्म के आश्रय हैं।
शम, दम, तप, शौच, सहिष्णुता, सरलता, ज्ञान-विज्ञान और आस्तिकता – ये सब ब्राह्मणों के स्वभाव से उत्पन्न कर्म हैं।
मैं जिस प्रकार विभूति संपन्न हूं और मेरा जो स्वरूप है उसे भक्ति द्वारा ही तत्वत: जान सकते हैं। उस प्रेमा भक्ति के बल से मुझे जान कर भी मेरी नित्य लीला में प्रवेश करते हैं।