श्रीमद भगवत गीता के अनमोल वचन (Bhagavad Gita quote in Hindi)
जो व्यक्ति सर्वत्र स्नेह रहित होते हैं और अनुकूल की प्राप्ति से न तो प्रसन्न होते हैं और ना ही प्रतिकूल की प्राप्ति होने पर उसका द्वेष करते हैं, उनकी बुद्धि स्थिर है।
क्रोध से सम्मोह, सम्मोह से स्मृति का नाश, स्मृति नाश होने से बुद्धि का नाश और बुद्धि नाश होने से सर्वनाश होता है। अर्थात वह पुनः भवसागर में पतित हो जाता है।
तुम अनासक्त होकर निरंतर कर्तव्य कर्म का आचरण करो क्योंकि अनासक्त होकर कर्म का आचरण करने से पुरुष मोक्ष प्राप्त करता है।
इस लोक में ज्ञान की समान पवित्र और कुछ भी नहीं है। निष्काम कर्म योग में सम्यक व्यक्ति उस ज्ञान को कालक्रम से स्वयं ही अपने हृदय में प्राप्त करते हैं।
अज्ञ, श्रद्धाविहीन और संशय युक्त व्यक्ति विनाश को प्राप्त होता है। संशय युक्त व्यक्ति के लिए न तो यह लोक है, न ही परलोक हैं और सुख भी नहीं है।