Bhagavad Gita Quotes in Hindi | भगवत गीता के अनमोल वचन

भगवत गीता के अनमोल वचन

भगवत गीता के अनमोल वचन - यह जीवात्मा कभी भी न तो जन्म लेता है और ना ही कभी मरता है। पुनः पुनः इसकी उत्पत्ति या वृद्धि नहीं होती है। यह अजन्मा, नित्य शाश्वत और प्राचीन होने पर भी नित्य नवीन है। शरीर के नष्ट होने पर भी जीवात्मा का विनाश नहीं होता है।

यह जीवात्मा कभी भी न तो जन्म लेता है और ना ही कभी मरता है। पुनः पुनः इसकी उत्पत्ति या वृद्धि नहीं होती है। यह अजन्मा, नित्य शाश्वत और प्राचीन होने पर भी नित्य नवीन है। शरीर के नष्ट होने पर भी जीवात्मा का विनाश नहीं होता है।

जो लौकिक प्रिय वस्तु के प्राप्त होने पर हर्षित नहीं होते हैं और न अप्रिय वस्तु के प्राप्त होने पर द्वेष करते हैं, जो प्रिय वस्तु के नष्ट होने पर शोक नहीं करते हैं और अप्राप्त वस्तु की आकांक्षा भी नहीं करते हैं जो पाप तथा पुण्य दोनों का परित्याग करने वाले हैं एवं जो मेरे प्रति भक्तिमान हैं, वे भक्त ही मेरे प्रिय हैं।

जिस प्रकार शरीरधारी जीवात्मा इस स्थूल शरीर में क्रमशः कुमार अवस्था, यौवना अवस्था तथा वृद्धावस्था प्राप्त करता है उसी प्रकार मृत्यु उपरांत जीवात्मा को अन्य शरीर प्राप्त होता है। धीर व्यक्ति इस विषय में अर्थात शरीर के नाश व उत्पत्ति के विषय में मोहित नहीं होते हैं।

हे पुरुषोत्तम! जो धीर व्यक्ति मात्रा – स्पर्श सुख एवं दुख आदि को समान समझते हैं और इनके द्वारा विचलित नहीं होते हैं वे निश्चय ही मुक्ति प्राप्त करने के योग्य होते हैं।

इस जीवात्मा को न तो शास्त्रों के द्वारा छेदा जा सकता है, न आग के द्वारा जलाया जा सकता है और न ही जल के द्वारा भी भिगोया जा सकता है और ना ही वायु के द्वारा सुखाया जा सकता है।

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