Bhagavad Gita quote in Hindi
महा अनुभव गुरुजन को न मारकर इस संसार में भिक्षान्न के द्वारा भी जीवन यापन करना कल्याणकारी है। किंतु गुरु जन की हत्या करने से इस लोक में ही रक्त रंजित अर्थ और काम रूप भोगों को भोगना होगा।
अग्नि, ज्योति, शुभदिन, शुक्ल पक्ष, 6 मासरूप उत्तरायण काल – इन समस्त कालों के अभिमानी देवताओं के मार्ग में जो समस्त ब्रह्मविद व्यक्ति प्रयाण करते हैं वे ब्रह्म को प्राप्त होते हैं।
जो मुझे अनादि, जन्म रहित और सभी लोकों के महेश्वर के रूप में जानते हैं, वे मनुष्य में मोहशून्य होकर भी सभी पापों से मुक्त होते हैं।
हे पार्थ! तुम इस प्रकार नपुसंकता को मत प्राप्त होओ। तुम्हें यह शोभा नहीं देता है। तुम इस क्षुद्र हृदय की दुर्बलता का परित्याग करते हुए युद्ध के लिए खड़े होओ।
अर्जुन ने कहा – हे शत्रु दमनकारी मधुसूदन! मैं किस प्रकार इस युद्ध में पूजनीय भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य के विरुद्ध बाणों के द्वारा युद्ध करूंगा?