Bhagavad Gita quotes in Hindi
श्री भगवान ने कहा – हे अर्जुन! निःसंदेह मन चंचल और कठिनाइयों से वश में होने वाला है, किंतु हे कुंती पुत्र! अभ्यास और वैराग्य के द्वारा यह वश में हो जाता है।
स्वभाविक शौर्य धर्म का परित्याग कर कायरता रूप धर्म से अभिभूत, धर्म के निरूपण में मोहित चित्तवाला मैं आपको पूछता हूं – मेरे लिए जो मंगलकारी है वह निश्चय कर आप कहें। मैं आपका शिष्य हूं। अत: मुझ शरणागत को आप शिक्षा प्रदान करें।
श्री भगवान ने कहा – तुम नहीं सोचने योग्य वस्तुओं (व्यक्तियों) के लिए शोक कर रहे हो, पुनः पांडित्य पूर्ण वचन भी कह रहे हो। किंतु, पंडितगण न तो प्राण हीन है और न ही प्राणवालों के लिए शौक करते हैं।
हे अर्जुन! मैं सभी जीवो के हृदय में स्थित अंतर्यामी हूं तथा मैं ही सभी जीवो की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय का कारण हूं।
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