श्रीमद भगवत गीता के अनमोल वचन (Bhagavad Gita quotes)
हे अर्जुन! समस्त क्षेत्रों में मुझे ही क्षेत्रज्ञ जानो। देहरूप क्षेत्र, जीव और स्वरूप क्षेत्र का जो तत्वज्ञान है, मेरे मत में वही ज्ञान है।
वह तत्व विषयों के द्वारा अनेक प्रकार से वर्णित हुआ है, विविध वेदवाक्यों द्वारा पृथक-पृथक रूप से कीर्तित हुआ है एवं युक्ति पूर्ण, निश्चित सिद्धांत युक्त वाक्यों में ब्रह्मसूत्र के पदों द्वारा कीर्तित हुआ है।
जो जानने योग्य है तथा जिसे जानकर मोक्ष प्राप्त होता है उसे भलीभांति कहूंगा। वह आदिरहित, मेरा आश्रित ब्रह्म कार्य अतीत तथा कारण अतीत कहा जाता है।
वह ज्ञेय वस्तु सभी इंद्रियों एवं गुणों का प्रकाशक है, किंतु स्वयं प्राकृत इंद्रियों से रहित है। वह अनासक्त होकर भी सबका पालक प्राकृतिक गुण रहित होने पर भी षट्ट ऐश्वर्या गुणों का भोक्ता है।
वह वस्तु अखंड होकर भी सभी इंसानों में खंड की भांति अवस्थित है, तुम उसे सभी मनुष्यों का पालक, सहायक तथा सृष्टि कर्ता जानो।