श्रीमद भगवत गीता के अनमोल वचन (Bhagavad Gita quote in Hindi)
हे अर्जुन! प्रकृति से उत्पन्न सत्व, रज और तम – ये तीन गुण शरीर में अवश्य निर्विकार देही अर्थात जीव को बांधते हैं।
किंतु कुछ अन्य लोग इस प्रकार तत्वों को न जानकर अन्य आचार्यों के निकट उपदेश श्रवणकर उपासना करते हैं, वे भी श्रवणनिष्ठ होकर क्रमशः मृत्यु रूप संसार का अवश्य अतिक्रमण करते हैं।
जो सभी भूतों में समभाव से अवस्थित, विनाशशीलों में अविनाशी परमेश्वर को देखते हैं, वे ही यथार्थ दर्शी हैं।
जो सभी कर्मों को प्रकृति के द्वारा ही संपादित देखते हैं तथा आत्मा को अकर्ता देखते हैं वही यथार्थ में देखते हैं।
हे कौन्तेय! अनादि तथा निर्गुण होने के कारण यह अव्यय परमात्मा शरीर में स्थित होकर भी न कर्म करते हैं और न ही कर्मफल से लिप्त होते हैं।