Bhagavad Gita quote in Hindi
प्रत्युपकार करने में असमर्थ व्यक्ति को, तीर्थ आदि स्थानों में, पुण्य काल में एवं योग्य पात्र को दान देना कर्तव्य है – इस प्रकार निश्चयकर जो दान दिया जाता है, वह सात्विक कहलाता है।
किंतु जो दान प्रत्युपकार की आशा से, फल के उद्देश्य से अथवा बाद में पछतावे के साथ दिया जाता है वह दान राजस कहलाता है।
जो दान अयोग्य स्थान और अयोग्य समय में तथा अयोग्य पात्रों को तिरस्कार पूर्वक तथा अवज्ञा पूर्वक दिया जाता है वह तामस कहलाता है।
हे पार्थ! ये सभी कर्म भी कर्तापन के अभिमान और फल आकांक्षा से रहित होकर करना ही कर्तव्य है, यह मेरा निश्चित उत्तम मत है।
मानव काया, वाक्य और मन के द्वारा धर्मयुक्त या अधर्मयुक्त्त जो कुछ कर्म करता है, ये पांच ही उसके कारण है।