हरिशंकर परसाई (अंग्रेजी: Harishankar Parsai; जन्म: 22 अगस्त 1924; मृत्यु: 10 अगस्त 1995) एक प्रसिद्ध लेखक व व्यंग्यकार थे। हिन्दी साहित्य में उनके समान व्यंग्य-रचन क्षमता शायद ही किसी में थी। उनकी रचनाओं को NCERT के द्वारा हिन्दी की पुस्तकों में भी सम्मिलित किया जाता है। “प्रेमचंद के फटे जूते” परसाई के द्वारा रचित प्रसिद्ध व्यंग्य रचनाओं में से एक है।
परसाई हास्याप्रद कहानियाँ लिखा करते थे। उनकी बहुत सारी कहानियाँ व्यंग्य आधारित हैं।
हरिशंकर परसाई का परिचय (Introduction to Harishankar Parsai)
नाम | हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai) |
जन्म | 22 अगस्त 1924, नर्मदापुरम, मध्य प्रदेश, भारत |
मृत्यु | 10 अगस्त 1995, जबलपुर, मध्य प्रदेश, भारत |
जीवनकाल | 72 वर्ष |
व्यंग्य रचनाएँ | आध्यात्मिक पागलों का मिशन, बदचलन, खतरे ऐसे भी, विकलांग श्रद्धा का दौर, दो नाक वाले लोग, क्रांतिकारी की कथा, आदि |
उपन्यास | तट की खोज, रानी नागफनी की कहानी, ज्वाला और जल, आदि। |
कहानियाँ | भोलाराम का जीव, हंसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे, आदि |
पुरस्कार | साहित्य अकादमी अवॉर्ड (1982) |
प्रसिद्धि का कारण | लेखक, व्यंग्यकार |
हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त 1924 को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के गांव जमानी में हुआ था। उन्होंने हिंदी भाषा में नागपुर यूनिवर्सिटी से M.A. किया। कॉलेज से ग्रेजुएट होने के बाद, उन्होंने अपने कार्य के साथ-साथ लेखन में भी रुचि बनाई। और एक समय बाद उन्होंने अपनी जॉब छोड़ करके लेखन को फुल टाइम कैरियर के रूप में चुन लिया।
परसाई को 1982 में उनकी व्यंग्य रचना “विकलांग श्रद्धा का दौर” पर साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।
कैरियर (Career)
हरिशंकर परसाई ने वसुधा नामक मैगजीन की शुरुआत की। मैगजीन की शुरुआत बहुत अच्छी हुई और लोगों ने इसे काफी पसंद भी किया। परंतु वित्तीय नुकसान के कारण उनकी यह मैगजीन लंबे समय तक नहीं चल पाई और उन्हें इसे बंद करना पड़ा।
रायपुर और जबलपुर से प्रकाशित होने वाले हिंदी अखबार देशबंधु में हरिशंकर परसाई अपना एक कॉलम प्रकाशित करते थे जिसमें वे पाठकों के प्रश्नों का जवाब दिया करते थे। इस कॉलम का नाम “पूछिए परछाई से” रखा गया था।
हरिशंकर परसाई की रचनाएँ (Creations by Harishankar Parsai)
कहानियाँ (Stories)
- भोलाराम का जीव
- हंसते हैं रोते हैं
- जैसे उनके दिन फिरे
व्यंग्य (Satires)
- एक लड़की और पाँच दीवाने
- आध्यात्मिक पागलों का मिशन
- बदचलन
- मैं नरक से बोल रहा हूँ
- विकलांग श्रद्धा का दौर
- दो नाक वाले लोग
- क्रांतिकारी की कथा
- पवित्रता का दौरा
- पुलिस मंत्री का पुतला
- वह जो आदमी है न
- नया साल
- घायल बसंत
- संस्कृति
- बारात की वापसी
- उखड़े खंभे
- पीटने पीटने में फर्क
- ग्रीटिंग कार्ड और राशन कार्ड
- शर्म की बात पर ताली पीटना
- भगत की गत
- मुंडन
- एक शुद्ध बेवकूफ
- इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर
- भारत को चाहिए जादूगर और साधु
- सुदामा का चावल
- कंधे श्रवण कुमार के
- एक मध्यमवर्गीय कुत्ता
- खेती
- 10 दिन का अनशन
- सन् 1950 ईस्वी
- बस की यात्रा
- टॉर्च बेचने वाले
निबंध (Essays)
- प्रेमचंद के फटे जूते (प्रेमचंद पर आधारित)
- ऐसा भी सोचा जाता है
- अपनी-अपनी बीमारी
- आवारा भीड़ के खतरे
- काग भगोड़ा
- बेईमानी की परत
- तुलसीदास चंदन घिसैं
- ठिठुरता हुआ गणतंत्र
- पगडंडियों का जमाना
- तब की बात और थी
- शिकायत मुझे भी है
- हम एक उम्र से वाकिफ हैं
- सदाचार का ताबीज
- भूत के पांव पीछे
- माटी कहे कुम्हार से
उपन्यास (Novels)
- तट की खोज
- रानी नागफनी की कहानी
- ज्वाला और जल
यह भी पढें – मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ
हरिशंकर परसाई की मृत्यु (Death of Harishankar Parsai)
हरिशंकर परसाई की मृत्यु 10 अगस्त 1995 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुई थी। मृत्यु के समय उनकी आयु 72 वर्ष थी।
परसाई की व्यंग्य रचनात्मक क्षमता अद्वितीय थी। उनके द्वारा लिखित व्यंग्य रचनाएं बहुत प्रचलित रही। द हिंदू न्यूज़ पेपर के अनुसार हरिशंकर परसाई ने अपने व्यंग्य लेखन में महानता हासिल कर ली थी।
FAQs
हरिशंकर परसाई (अंग्रेजी: Harishankar Parsai; जन्म: 22 अगस्त 1924; मृत्यु: 10 अगस्त 1995) एक लेखक थे। वे हिन्दी साहित्य के एक जाने-माने व्यंग्यकार थे।
हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त 1924 को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के गांव जमानी में हुआ था। उन्होंने हिंदी भाषा में नागपुर यूनिवर्सिटी से M.A. किया। कॉलेज से ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने अपने कार्य के साथ-साथ लेखन में भी रुचि बनाई। और एक समय बाद उन्होंने अपनी जॉब छोड़ करके लेखन को फुल टाइम कैरियर के रूप में चुन लिया।
परसाई को 1982 में उनकी व्यंग्य रचना “विकलांग श्रद्धा का दौर” पर साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।
हरिशंकर परसाई की मृत्यु 10 अगस्त 1995 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुई थी। मृत्यु के समय उनकी आयु 72 वर्ष थी।
हरिशंकर परसाई के द्वारा रचित कहानियां – भोलाराम का जीव, हंसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे आदि।
हरिशंकर परसाई की मृत्यु 10 अगस्त 1995 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुई थी। मृत्यु के समय उनकी आयु 72 वर्ष थी।